चंदौली : सोनभद्र के दुद्धी विधानसभा से पूर्व विधायक रहीं रूबी प्रसाद का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया है. अनुसूचित जाति जनजाति आयोग की ओर तरफ से गठित कमेटी ने मंगलवार को अपना फैसला सुनाते हुए इनके प्रमाण पत्र को फर्जी करार दिया. शासन के इस फैसले के बाद पूर्व विधायक की मुश्किलें बढ़ गईं. उनके खिलाफ फर्जीवाड़ा से संबंधित गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किए जाने के साथ ही रिकवरी की कार्रवाई भी की जा सकती है. 2012 में रामनरेश पासवान के अपील पर पूरे मामले की जांच शुरू की गई.
इस पूरे मामले में याचिकाकर्ता और राज्य अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष रामनरेश पासवान ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि रूबी प्रसाद फर्जी प्रमाणपत्र के सहारे दुद्धी से विधायक बनीं. फर्जी तरीके से विधायक बने का प्रकरण उस वक्त संज्ञान में आया था. इसकी जांच भी की गई और हाईकोर्ट तक इस मामले को ले जाया गया. अभी जांच की प्रक्रिया चल ही रही थी. इसी बीच प्रमुख सचिव समाज कल्याण हिमांशु कुमार को कमेटी गठित कर जांच के निर्देश दिए गए थे. आज उस कमेटी का निर्णय आया है. इसमें प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाने की बात सामने आई है और रूबी प्रसाद का प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया है.
उन्होंने बताया कि रूबी प्रसाद न सिर्फ फर्जी प्रमाण पत्र के सहारे विधायक बनीं बल्कि विधायक रहते हुए इस पद का गलत इस्तेमाल किया. वे जिस दल की सरकार बनती थी, उस दल में शामिल होकर अपनी जांच को लगातार प्रभावित करने का प्रयास करतीं थीं. बावजूद इसके योगी सरकार ने इस मामले में पूरी पारदर्शिता के साथ जांच के निर्देश दिए. गठित कमेटी ने जांच के बाद बड़ा निर्णय लेते हुए आज उनके प्रमाण पत्र के निरस्तीकरण की कार्रवाई की. योगी सरकार का यह फैसला भविष्य के लिए एक नजीर साबित होगा.
रामनरेश पासवान ने बताया कि 2007 में उन्होंने फर्जी तरीके से फर्जी जाति का प्रमाण पत्र बनवाया. इसके बाद वह 2012 में दुद्धी विधानसभा से विधायक बन गईं. जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि वह बिहार के समस्तीपुर की रहने वाली हैं. इनके पिता सुबोध सिंह राजपूत हैं. गठित कमेटी की विजिलेंस जांच की जिसमें प्राथमिक स्कूली शिक्षा, वंशावली, खसरा-खतौनी समेत अन्य प्रमाण पत्रों की जांच की जिसमें सामान्य जाति (राजपूत) का होना पाया गया.