चंदौली: कोरोना वायरस से किसानों को आर्थिक तौर पर काफी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं. किसानों ने आय बढ़ाने के लिए नया प्रयोग करते हुए ब्लैक राइस की खेती करना शुरू कर दिया. अनुकूल वातावरण के लिहाज से पैदावार तो काफी अच्छी हुई, लेकिन इसकी (ब्लैक राइस) मार्केटिंग कम होने के चलते किसानों की उपज औने-पौने दामों पर बेची जा रही है, जिससे किसानों के अरमानों पर पानी फिरता दिख रहा है. किसानों का कहना है कि अब उनका ब्लैक राइस की खेती से मोह भंग हो रहा है. वहीं कृषि विभाग का दावा है कि ब्लैक राइस की खेती से किसानों की आय दोगुनी नहीं बल्कि तीन गुना बढ़ी है.
धान बेचने के लिएचिन्हित है दुकान
धान के कटोरे चन्दौली में कृषि विभाग की तरफ से गठित ब्लैक राइस कृषक समिति की देखरेख में किसानों से ब्लैक राइस धान की खरीद की जा रही है. इसके लिए नवीन मंडी समिति में बाकायदा दुकान नंबर 21 को चिन्हित किया गया, जहां किसानों की उपज 85 रुपये किलो के हिसाब से ली जा रही है.
धान की खेती का बहिष्कार
ब्लैक राइस की खेती करने वाले किसानों ने बताया कि उन्होंने बेहतर आय की उम्मीद के चलते धान की खेती की थी. उनका अनुमान था कि औषधीय गुणों से युक्त इस चावल को बाजार में उचित मूल्य मिलेगा, जिससे उनकी (किसानों) आय में बढ़ोतरी होगी और अच्छे दिन आएंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और उनकी सारी उम्मीदें धरी की धरी रह गईं.
ब्लैक राइस की खेती में लगने वाला खर्च
ब्लैक राइस की खेती करने वाले किसान ने बताया कि जब उन्होंने ब्लैक राइस की खेती की शुरूआत की तो 400 रुपये किलो बीज खरीदना पड़ा. किसानों के मुताबिक ब्लैक राइस की उपज की अनुमानित कीमत 250 से 300 रुपये किलो आंकी गई, लेकिन समिति द्वारा इसे महज 85 रुपये किलो के दाम पर खरीदा जा रहा है. किसानों का आरोप यह भी है कि जब दोबारा फसल की बुआई का समय आ गया, तब खरीद की जा रही है. ऐसे स्थिति में अब हम इसकी खेती नहीं करेंगे.