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ब्लैक राइस से दूर होगा 'धान के कटोरे' का पिछड़ापन

मोदी सरकार पार्ट-1 में केंद्रीय मंत्री रहीं मेनका गांधी ने किसानों की आय बढ़ाने को लेकर चंदौली में ब्लैक राइस की खेती का सुझाव दिया था. मेनका गांधी का यह सुझाव अब किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है. जानिए ब्लैक राइस से जुड़ी खास बातें...

'ब्लैक राइस' की खेती.

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Published : Nov 20, 2019, 12:22 PM IST

चंदौली:धान का कटोरा कहा जाने वाला चंदौली इन दिनों ब्लैक राइस की खेती को लेकर चर्चा में है. इसकी सबसे बड़ी वजह है ब्लैक राइस में विद्यमान औषधीय गुण, जो उसे किसी भी अन्य चावल से बेहतर बनाता है. इतना ही नहीं यह चावल शुगर फ्री होने के साथ-साथ कैंसर जैसी बीमारियों में भी बेहद फायदेमंद है.

देखें खास रिपोर्ट.
चन्दौली में किसानों की आय दोगुनी करने को लेकर जिला प्रशासन ने ब्लैक राइस की खेती का अभिनव प्रयोग किया था. जिला प्रशासन की यह पहल दो साल बाद अब सफल होती दिख रही है. दरअसल मोदी सरकार पार्ट-1 में केंद्रीय मंत्री रहीं मेनका गांधी ने किसानों की आय बढ़ाने को लेकर ब्लैक राइस की खेती का सुझाव दिया था. जिसके बाद मणिपुर से प्रयोग के तौर पर ब्लैक राइस की बीज मंगाई गई.

इंटरनेशनल राइस रिसर्च सेंटर ने भी सराहा
शुरुआत में ब्लैक राइस बीज जिले के 30 प्रगतिशील किसानों को दिया गया. जिसकी क्रॉप कटिंग में उत्साह जनक परिणाम देखने को मिले. शुरूआत में करीब 150 कुंतल पैदावार रही. जिसे इस बार बीज के लिए इस्तेमाल किया गया. इस सीजन में 400 बीघे में इसकी खेती गई है. पिछले बार से बेहतर परिणाम की उम्मीद है. यहीं नहीं इंटरनेशनल राइस रिसर्च सेंटर की टीम ने भी इसे सराहा था.

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किसानों की आय में वृद्धि
ब्लैक राइस की पैदावार यहां की प्रचलित धान जीरा-32 के बराबर है, जबकि ब्लैक राइस की कीमत मार्केट में कहीं ज्यादा है. इसकी अनुमानित कीमत 300-500 रुपये बताई जा रही है. यहीं नहीं इसकी खेती में लागत भी कम हैं. ब्लैक राइस में किसी भी तरह की कीटनाशक दवा या खाद का प्रयोग नहीं किया जाता है. इसमें सिर्फ जैविक खाद, कम्पोस्ट आदि का ही प्रयोग किया जाता है. जिससे भूमि की उत्पादकता भी बनी रहेगी और औषधीय गुण भी प्रभावित नहीं होंगे. इसके उत्पादन से किसानों की आय में चार से पांच गुना वृद्धि होगी.

क्या हैं ब्लैक राइस के फायदे
ब्लैक राइस एंटी ऑक्सीडेंट के गुणों से भरपूर होते हैं, जो कि हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मददगार होते हैं. मधुमेह और कैंसर के अलावा दिल के रोग से भी रक्षा करता है. यही नहीं अन्य चावल की तुलना में ब्लैक राइस में जिंक, आयरन, फाइबर और प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो शरीर के लिए सेहतमंद भी है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह चावल शुगर फ्री है. जिसे मधुमेह के रोगी भी खा सकते है. अपने इन्ही गुणों के चलते बेहद खास है.

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ब्लैक राइस की ब्रांडिंग और मार्केटिंग
चन्दौली जिला प्रशासन की तरफ चावल की इस खास किस्म की ब्रांडिंग के लिए चन्दौली काला चावल नाम रखा गया है. बढ़ते दायरे के साथ ही इसकी मार्केटिंग भी जरूरी है. जिसके लिए कृषि विभाग की तरफ से कई मल्टीनेशनल कंपनियों फॉर्च्यून, आईटीसी व अन्य से संपर्क किया गया, जो किसानों की उगाई गई ब्लैक राइस की उचित मूल्य पर खरीदारी करेंगी. इसके लिए जिला प्रशासन जल्द ही ब्लैक राइस उत्पादक किसानों और इन कंपनियों की बैठक कराएगी. साथ ही इसके लिए एक समिति का गठन किया जाएगा.

वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट की तर्ज मिल रही सहूलियत
अति पिछड़े चंदौली जिले का मुख्य व्यवसाय कृषि ही है. जिसमें अभिनव प्रयोग करते हुए किसानों की आय बढ़ाने का प्रयास किया गया है. जिसे देखते हुए 2018 में चन्दौली दौरे पर आए सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ में ब्लैक राइस की खेती को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट की तर्ज सहूलियत दिए जाने की बात कही थी. इसकी प्रोडक्टिविटी से मार्केटिंग तक पूरा प्लान बनाने की बात कही थी.

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