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महाराजा सुहेलदेव जयंती: वोट बैंक की राजनीति के बजाय विमुक्ति आरक्षण लागू करे सरकार - महाराजा सुहेलदेव की जयंती

एक तरफ जहां सरकार प्रदेश भर में महाराजा सुहेलदेव जयंती समारोह धूमधाम से मना रही है, और विभिन्न आयोजनों के जरिए उनकी शौर्य गाथा का गुणगान किया जा रहा है. वहीं समाजवादी पार्टी चंदौली के जिलाध्यक्ष सत्यनारायण राजभर ने आयोजित कार्यक्रमों पर सवाल करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा सिर्फ वोट की राजनीति करती है. उनका उत्थान नहीं चाहती. यहीं वजह है कि पूर्व की सरकारों में राजभर समाज को मिल रही विमुक्ति आरक्षण बंद कर दिया.

चंदौली में मनाई गई जंयती.
चंदौली में मनाई गई जंयती.

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Published : Feb 16, 2021, 9:05 PM IST

चंदौलीःमहाराजा सुहेलदेव की 112वीं जयंती पर समाजवादी पार्टी कार्यालय पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस दौरान सपा जिलाध्यक्ष सत्यनारायण राजभर ने कहा की सुहेलदेव जीवनपर्यंत समाज को न्याय दिलाने के लिए अन्याय के खिलाफ लड़ते रहे. धर्म, समाज सभ्यता एवं संस्कृति की रक्षा को अपना कर्तव्य माना. उन्होंने भारतीय अस्मिता से कभी समझौता नहीं किया, लेकिन आज भाजपा की सरकार उनका नाम लेकर केवल वोट बैंक की राजनीति कर रही है.

चंदौली में मनाई गई महाराजा सुहेलदेव की जंयती.

सरकार विमुक्ति जनजाति आरक्षण लागू करे

उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी विकास के बजाय प्रतीकों के सहारे वोट बैंक की राजनीति कर रही है. कहा कि बहराइच के चित्तौड़ा में मुख्यमंत्री की उपस्थिति में प्रधानमंत्री मोदी ने वर्च्युअल तरीके से महाराजा सुहेलदेव स्मारक का शिलान्यास किया है. इस पर तंज कसते हुए कहा कि यदि सरकार राजभर समाज की इतनी हितैसी है तो पिछली सरकारों में राजभर समाज को मिल रही विमुक्ति जनजाति का आरक्षण लागू क्यों नहीं करती. ताकि समाज के उत्थान में सहयोग मिल सके.

शहीद स्मारक पर आयोजित किया गया कार्यक्रम

गौरतलब है कि जिले के चकिया स्थित शहीद स्मारक पर प्रमुख कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इसकी औपचारिक शुरुआत बहराइच में महाराजा सुहेलदेव के भव्य स्मारक और चित्तौड़ा झील की विकास योजना तथा महाराज सुहेलदेव स्वायत्तशासी राज्य चिकित्सा के लोकार्पण के साथ शुरू हुई. इस दौरान जिलाधिकारी संजीव सिंह, एसपी अमित कुमार, चकिया विधायक शारदा प्रसाद समेत जिले के अन्य अधिकारी मौजूद रहे.

क्या होता है विमुक्ति आरक्षण

विमुक्त जनजाति को नोटिफाइड ट्राइब भी कहा जाता है. जो कि काफी लड़ाकू जाति मानी जाती है. अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई में इस समाज की काफी सक्रिय भूमिका रही है. बताया जाता है कि आजादी के बाद दो दशकों तक इनकी हाजिरी लगाई जाती थी, लेकिन जब समाज को इससे मुक्ति मिली तो विमुक्ति जनजाति को 2 प्रतिशत आरक्षण मिला था. जो कि पूर्व की समाजवादी पार्टी की सरकार में भी लागू था, लेकिन इस सरकार ने इसे हटा दिया.

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