चन्दौली : एक तरफ जहां उत्तर प्रदेश की योगी सरकार कम्युनिटी पुलिसिंग की नसीहत दे रही है. वहीं दूसरी तरफ पुलिस है जो अपने व्यवहार में परिवर्तन को तैयार ही नहीं है. सीमा विवाद के बीच एक युवक का शव 4 घन्टे तक रेल ट्रैक के बीच पास रहा. दरअसल, शुक्रवार को 05563 अप ट्रेन के कोच संख्या D-6 के सीट नम्बर 46 पर बिहार के बक्सर से सूरत तक की यात्रा कर रहे दीपक पांडे का शव दो रेलवे ट्रैक के बीच पाया गया.
शर्मनाक: ट्रैक पर लाश के पास 4 घंटे तक गुजरती रहीं ट्रेनें, सीमा विवाद में पड़ी रही पुलिस
एक बार फिर खाकी का अमानवीय चेहरा सामने आया है. डीडीयू जंक्शन के समीप रेलवे ट्रैक के पास करीब 4 घन्टे तक एक यात्री का शव सिर्फ इसलिए पड़ा रहा, क्योंकि जीआरपी और लोकल पुलिस को उसका क्षेत्र नहीं पता था. इस बीच सीमा विवाद को लेकर मची हायतौबा के बाद जीआरपी डीडीयू ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा. इस दौरान मुगलसराय और अलीनगर पुलिस मौका मुआयना कर पल्ला झाड़ते हुए चलती बनी.
बताया गया कि ट्रेन के डीडीयू जंक्शन से खुलने के बाद पोल संख्या 674/21 के समीप ट्रेन से गिरने से मौत हो गई. मामले की जानकारी के बाद मौके पर जीआरपी डीडीयू के अलावा अलीनगर और मुगलसराय पुलिस मौके पर पहुंची जरूर. लेकिन सीमा विवाद बताकर शव को किसी ने कब्जे में नहीं लिया, और शव 3 बजे तक मौके पर ही पड़ा रहा.
सीमा विवाद के चलते रेल यात्री का शव 4 घण्टे तक पड़ा रहा रहा, और तीनों थानों की पुलिस मानवता को शर्मशार करते हुए सिर्फ यह बताने में मशगूल रहीं की यह क्षेत्र हमारा नहीं है. हालांकि बाद में एक दूसरे पर जिम्मेदारी टालने के बाद जीआरपी डीडीयू ने बड़ा दिल दिखाया, और यह कहते हुए मेरा क्षेत्र नहीं है, बावजूद इसके मानवता के आधार पर शव को कब्जे में लेने को तैयार हुई.
इस सम्बंध में अलीनगर थाना प्रभारी संतोष सिंह ने बताया की वो बॉडी छित्तमपुर और धरना गांव के सीमा पर है, और दोनों ही गांव उनके थाना क्षेत्र में नहीं आता है. यह मुगलसराय और जीआरपी के बीच का मामला है. वहीं मुगलसराय कोतवाल राजीव कुमार ने बताया कि ट्रेन से गिरकर मौत की सूचना तो प्राप्त हुई है. लेकिन यह तय नहीं हो सका की किसका क्षेत्र है. पहले डिसाइड हो जाए फिर शव को उठाया जाएगा.
इस बाबत प्रभारी निरीक्षक जीआरपी अशोक कुमार दुबे ने बताया कि घटना के बाबत पहले अलीनगर को मेमो भेजा गया. लेकिन उन्होंने सीमा क्षेत्र का हवाला देते मनाकर दिया. जिसके बाद मुगलसराय कोतवाली को सूचना दी गई. लेकिन वहां से भी सीमा क्षेत्र का हवाला देते हुए शव को उठाने से मना कर दिया. जिसके बाद जीआरपी ने मौके पर मौजूद रहे अधीनस्थों को निर्देशित करते हुए शव को कब्जे में लेकर कार्रवाई में जुट गई.
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बहरहाल, घटना के 4 घन्टे बाद जीआरपी ने शव को कब्जे में जरूर ले लिया. लेकिन इस दौरान यूपी पुलिस का जो अमानवीय चेहरा सामने आया है, वो बेहद शर्मनाक है. क्या पहले मेमो को आधार मानकर अलीनगर पुलिस शव को कब्जे में नहीं ले सकती थी ? या फिर क्या मुगलसराय पुलिस सीमावर्ती क्षेत्र होने के नाते शव को कब्जे में नहीं ले सकती थी ? या फिर क्या घटना के बाद से ही मौके पर मौजूद जीआरपी पुलिस तत्काल शव को कब्जे में लेकर कार्रवाई नहीं कर सकती थी. जो बाद में अमल में लाया भी गया. ऐसे कई सवाल हैं जो पुलिस अमानवीयता से उठा रहे हैं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि इसका जवाब देगा कौन ?