चंदौली:धान का कटोरा कहा जाने वाला जिला धीरे-धीरे सूखता जा रहा है. कारण है, अभी तक यहां पर औसत से 64 फीसदी कम बारिश हुई है. जिससे किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें ला दी हैं. पिछले 15 दिन से बारिश न होने से किसान निजी संसाधनों से सिंचाई कर धान की फसल बचाने की जद्दोजहद में जुटे हैं. जिले में कुल 2 लाख 56 हजार किसान धान की खेती करते हैं. इस साल जिले में 11 लाख 36 हजार हेक्टेयर पर धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
अगस्त का तीसरा सप्ताह चल रहा है और अब तक खेतों में धान की रोपाई हो जानी चाहिए थी. लेकिन, पूर्वांचल के जिलों में ऐसा नहीं हो सका. निजी संसाधनों के सहारे सिंचाई कर रहे किसान अभी तक अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे हैं. ताकि वह अपने खेतों में धान की रोपाई कर सकें. किसानों को इस बात की चिंता सता रही है कि अगर बरसात नहीं होगी, तो धान की फसल कैसे होगी.
मुगलसराय इलाके की हालत सबसे खराब है. यहां न नहरों का जाल है और न ही ट्यूबवेल की सहूलियत है. लोग घर से निकलने वाली नाली के पानी से धान की फसल की सिंचाई कर रहे है. किसान रामनारायण का कहना है कि बारिश एकदम नहीं हो रही है. बिल्कुल सूखा की स्थिति हो गई है. हम लोग पूरी तरह से धान की खेती पर ही निर्भर हैं. धान की पैदावार अच्छी होती है तो जीवनयापन सही से हो जाता है. अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा लेते हैं. अगर जल्द बारिश नहीं हुई तो फसल पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा. भुखमरी जैसी स्थिति हो जाएगी.