एसपी अनिल कुमार ने दी जानकारी चंदौली: रेलकर्मियों के एकाउंट से छेड़छाड़ कर उसकी जगह अपना और अपनी पत्नी का एकाउंट नंबर डालकर रेल कर्मचारियों की कमाई से हेराफेरी करने वाले रेलवे क्लर्क को मुगलसराय कोतवाली पुलिस ने बुधवार को गिरफ्तार कर लिया. आरपीएफ सिपाही के फंड का पैसा दूसरे के खाते में जाने से यह पूरा मामला पकड़ में आया. इस मामले में मिली तहरीर के बाद पुलिस अधीक्षक डॉ. अनिल कुमार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जल्द से जल्द इसका पर्दाफाश करने का निर्देश दिया.
आरपीएफ सिपाही का पैसा फंसा तो खुला राज:सहायक सुरक्षा आयुक्त रेलवे सुरक्षा बल पीडीडीयू नगर हरिनारायण राम ने मुगलसराय कोतवाली में सूचना दी थी कि आरक्षी मो. मुजीब ने पीएफ खाते से 17 अक्टूबर को 92000 रुपये निकासी के लिए आवेदन बिलिंग क्लर्क को प्रार्थना पत्र दिया था, जो 17 अक्टूबर को ही मुख्यालय हाजीपुर अग्रसारित हो गया. उसी दिन धनराशि आवंटित कर दी गई, जोकि मो. मुजीब के खाते में नहीं आई. 19 अक्टूबर को कार्यालय अधीक्षक के यहां से जानकारी ली गई तो ज्ञात हुआ कि पैसा आवेदक के खाते में भेज दिया गया है.
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पे-स्लिप निकलवाने पर हुई हेराफेरी की जानकारी:अभियुक्त युवराज सिंह ने मो. मुजीब के खाते के स्थान पर अपनी पत्नी नीतू का खाता दर्ज किया था. इससे पैसा उसकी पत्नी के खाते में चला गया. युवराज अपनी पत्नी के खाते से पैसा मो. मुजीब के खाते में ट्रांसफर नहीं कर पाया. बैंक से पे-स्लिप निकलवाने पर हेराफेरी की जानकारी हुई. इसके आधार पर पुलिस ने युवराज सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. युवराज सिंह अधिकारियों-कर्मचारियों का 3 करोड़ 61 लाख 91 हजार 217 रुपये अपने और अपनी पत्नी के खाते में पैसा ट्रांसफर कर चुका था. पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर आरोपी को हरिशंकरपुर मोड़ से गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस पूछताछ में आरोपी ने बताया कि 2006 में वह आरपीएफ में आरक्षी के पद पर नियुक्त हुआ था. बाद में मेडिकल अनफिट होने के कारण 2017 में क्लर्क के पद पर नियुक्त हो गया. क्लर्क के रूप में वह आरपीएफ के अधिकारी और कर्मचारियों का वेतन बनाता था. सेक्सन में उसके ऊपर एल 2, मुख्य कार्यालय अधीक्षक एवम् एल 3, सहायक सुरक्षा आयुक्त थे. जिनके द्वारा युवराज के बनाए गए बिलों की जांच करने के पश्चात आंकिक शाखा में जाता था. वहां पर भी एल 1 अधिकारी, सहायक आंकिक एल 2 अधिकारी सेक्शन ऑफिसर के चेक करने के पश्चात एल 3 अधिकारी, सहायक मण्डल वित्त प्रबन्धक की ओर से बिल को पास कर पेमेन्ट किया जाता था. उसके बाद सम्बन्धित के खाते में पैसा चला जाता था.
पैसों को पत्नी के खाते में करता था जमा:आरोपी ने बताया कि वर्ष 2016 में AIMS (ACCOUNTING INFORMATION MANAGEMENT SYSTEM) सॉफ्टवेयर आया. उससे वह किसी कर्मचारी का पैसा ज्यादा भरकर लगा देता था तो उसे कोई पकड़ नहीं पाता था. इसी सिस्टम के माध्यम से सम्बन्धित कर्मचारी को खाते में अंकित खाता नम्बर को बदलकर अपनी पत्नी या अपना खाता नम्बर डाल देता था. इन पैसों को उसने पत्नी और साडू मनोज कुमार के व्यवसाय और अन्य कामों में लगाया था. आरोपी के पास से पुलिस ने एक कार, एक प्रिन्टर और दो मोबाइल बरामद किए हैं.
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