चंदौलीः यूपी की सरकारें चाहे लाख दावे कर लें, सूबे की तबियत ठीक होने का नाम ही नहीं ले रही है. सरकार में अखिलेश रहे हों या फिर मायावती या फिर अब योगी जी, अस्पतालों की हालत तो जस की तस बनी हुई है.
चंदौलीः करोड़ों खर्च पर बबुरी को नहीं मिला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिम्मेदार आखिर कौन - chanadauli health news
चंदौली जिले में सीएचसी, पीएचसी और ट्रॉमा सेंटर बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए गए, फिर आधे-अधूरे छोड़ दिए गए. ETV BHARAT आज से हर रोज इन अस्पतालों के हालात से आपको रूबरू कराएगा... इस कड़ी की शुरुआत करते हैं चंदौली के बबुरी सीएचसी से....
ताजा मामला चंदौली का है, जहां चार स्वास्थ्य केंद्र बनने शुरू हुए, लोगों को कुछ आस बंधी, लेकिन सरकार बदली तो सपने भी बदल गए. ट्रॉमा सेंटर भी बना पर फिर आधा-अधूरा छोड़ दिया गया. जनता के लिए बनने वाले अस्पताल तो नहीं बन सके, लेकिन हां जनता के करोड़ों रुपये जरूर डकार लिए गए.
जिले के बबुरी क्षेत्र में आसपास किसी तरह का कोई स्वास्थ्य केंद्र नहीं है, जिसको देखते हुए साल 2014 में तत्कालीन सांसद रामकिशुन के प्रयासों से अखिलेश यादव ने इसका शिलान्यास किया था. इसके लिए 3 करोड़ 73 लाख रुपये आवंटित भी कर दिया, लेकिन 2017 में पूरी धनराशि खत्म होने के बाद भी अस्पताल नहीं बन सका.
जब स्वास्थ्य विभाग ने तकनीकी टीम से भवन की जांच कराई तो निर्माण मानक के अनुरूप नहीं मिला. इतना ही नहीं गुणवत्ता प्रबंधन में भी तमाम खामियां पाई गईं. स्वास्थ्य विभाग ने इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों से कर जांच ईओडब्ल्यू को सौंप दी. साथ ही राजकीय निर्माण निगम के अभियंताओं के खिलाफ केस भी दर्ज कराया है, लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी अब तक ईओडब्ल्यू की ओर से अभी कोई जांच रिपोर्ट नहीं मिली है.
स्वास्थ्य महकमा जांच की दुहाई दे रहा है. यहां के जनप्रतिनिधि और सरकार मूकदर्शक बने हुए हैं और विपक्ष अपनी सरकार की योजनाओं को रोके जाने का आरोप लगाते हुए राजनीतिक रोटियां सेंक रहा है, लेकिन इन सब के बीच जनता पिस रही है, जो बेहतर इलाज से महरूम है.