चंदौली : यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के नजदीक आते ही प्रचार-प्रसार शुरू हो गया है. वहीं दूसरी तरफ विधानसभा की हर सीट पर पार्टियां अपना गुणा-गणित सेट करने में लग गई हैं. चकिया विधानसभा क्षेत्र में पर्यटन की दृष्टि से एक तरफ जहां राजदारी देवदारी जलप्रपात है. तो वहीं दूसरी तरफ धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो प्राचीन काली मंदिर, नौगढ़ के जंगलों के बीच स्थित कोइलरवा हनुमान जी मंदिर के साथ-साथ जागेश्वरनाथ धाम और लतीफ शाह की मजार भी है. इस इलाके में पूर्व काशी नरेश का किला था. साथ ही साथ राजा मारीच के किले के अवशेष इस इलाके में मिलते हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में पड़ने वाले नवगढ़ का चित्र बाबू देवकीनंदन खत्री ने चंद्रकांता संतति में भी किया है. देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का पैतृक गांव भभौरा भी इसी विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
चंदौली जिले की चकिया (सुरक्षित) विधानसभा का राजनीतिक सफर साल 1962 के आम चुनावों के साथ शुरू हुआ था. इसके पहले 1952 तथा 1957 के आम चुनावों में यह सीट चंदौली विधानसभा से जुड़ी हुई थी. चंदौली सीट से सामान्य तथा सुरक्षित दो सीटे थीं और दो विधायक चुने जाते थे. इससे एक सामान्य और एक अनुसूचित जाति का विधायक चुना जाता था. उन दोनों चुनावों में कांग्रेस की टिकट पर सामान्य सीट पर पंडित कमलापति त्रिपाठी तथा सुरक्षित सीट पर रामलखन निर्वाचित हुए थे. लेकिन 1967 के कांग्रेस विरोधी लहर ने इस सीट पर सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार बेचनराम ने जीत हासिल की.
उन्होंने तब कांगेस के रामलखन को पराजित किया था. लेकिन 1969 के मध्यावधि चुनाव में रामलखन ने बेचन राम को पराजित कर फिर कांग्रेस की झोली में यह सीट डाल दी. 1974 के चुनाव में कांग्रेस ने बेचन राम को टिकट दिया और रामलखन बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे. इस चुनाव में बेचन राम ने जीत हासिल की.
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1977 में जनता पार्टी की लहर में इस सीट पर जनसंघ घटक के प्रत्याशी श्यामदेव ने बाजी मारी तथा 1980 के मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस के खरपत राम ने विजय पताका फहराई. उन्होंने 1985 के चुनाव में भी जीत का क्रम जारी रखा. 1989 में जनता दल से सत्य प्रकाश सोनकर विजयी घोषित हुए. इसके बाद हुए चुनाव में राजेश कुमार विधायक रहे. 1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर एक बार फिर सत्य प्रकाश सोनकर चकिया से विधायक बने.
2002 में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के शिव तपस्या पासवान चकिया से विधायक चुने गए. इसके बाद 2007 में जब विधानसभा चुनाव हुए तो बहुजन समाज पार्टी के जितेंद्र कुमार ने जीत हासिल की. 2012 के विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद समाजवादी पार्टी ने सत्य प्रकाश सोनकर को अपना प्रत्याशी बनाया था. इसके बाद समाजवादी पार्टी ने उनकी पत्नी पूनम सोनकर को मैदान में उतारा. जिन्होंने बहुजन समाज पार्टी के जितेंद्र कुमार को हराकर जिले की पहली महिला विधायक होने का गौरव हासिल किया. 2017 के चुनाव में यहां से भारतीय जनता पार्टी के शारदा प्रसाद ने चुनाव जीता जो बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे.