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चंदौली: घर पर पढ़ेंगे नौनिहाल, अभिभावकों को दी जाएंगी किताबें - chandauli department of education

उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में अभिभावकों के जरिए छात्रों तक किताब पहुंचाने की पहल की गई है. परिषदीय विद्यालयों में नामांकित छात्रों में वितरण के लिए 16 लाख के सापेक्ष अब तक विभाग को 8 लाख किताबें प्राप्त हो चुकी हैं.

 अभिभावकों को बुलाकर बांटा जाएगा किताब
अभिभावकों को बुलाकर बांटी जाएंगी किताबें

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Published : Jun 19, 2020, 5:53 PM IST

चंदौली: वैश्विक महामारी कोरोना के चलते बेपटरी हो चुकी शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने में प्रयास किया जा रहा है. बेसिक शिक्षा विभाग इस बात पर जोर दे रहा है कि लॉकडाउन के चलते स्कूल जाने से वंचित बच्चों का पठन-पाठन प्रभावित न हो. इसके लिए अभिभावकों के जरिए छात्रों तक किताब पहुंचाने की पहल की गई है. बच्चों को घर बैठे ऑनलाइन पढ़ाई में सहूलियत मिल सके. परिषदीय विद्यालयों में नामांकित छात्रों में वितरण के लिए 16 लाख के सापेक्ष अब तक विभाग को 8 लाख किताबें प्राप्त हो गई हैं.

शिक्षा विभाग की तरफ से निर्देश दिया गया है कि सभी बच्चों के अभिभावकों को विद्यालय बुलाकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए किताबों का वितरण सुनिश्चित कराया जाए. परिषदीय स्कूलों के छात्र विद्यालय भले ही अभी स्कूल न जाएं, लेकिन उनको समय से किताबें उपलब्ध कराई जाएंगी.

अभिभावकों को बुलाकर बांटी जाएंगी किताबें
बीएसए भोलेन्द्र प्रताप सिंह ने खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि बीआरसी पर किताब पहुंचने के बाद समयबद्ध तरीके से वितरण सुनिश्चित कराएं. नामांकित सभी छात्रों के अभिभावकों को विद्यालय बुलाकर उन्हें पुस्तक उपलब्ध कराने की व्यवस्था करें.धानापुर ब्लॉक के लिए किताबों की पहली खेप भेजी जा चुकी है, जबकि सदर ब्लॉक के संकुल प्रभारी में भी पुस्तकों का वितरण किया जा रहा है. इसके अलावा अन्य 7 ब्लॉकों के भी बीआरसी पर भी किताबें भेजी जा रही है.इस शैक्षिक सत्र के लिए कुल 16 लाख 4 हजार 555 पुस्तकों की डिमांड की गई थी, जिसके सापेक्ष अब तक 8 लाख 6 हजार 872 पुस्तकें प्राप्त हुई हैं. पाठ्य पुस्तकों के वितरण के बाद ऑनलाइन क्लास के जरिए बच्चों को पढ़ाया जाएगा.बेसिक शिक्षा विभाग बच्चों की पढ़ाई को लेकर पहले से ज्यादा संजीदा है. वॉट्सएप ग्रुप के जरिये ऑनलाइन क्लास चलायी जा रही हैं. इसके अलावा सभी शिक्षकों को दीक्षा एप के जरिए लर्निंग मटेरियल दिया जा रहा था, जिससे इस लॉकडाउन में भी बच्चों को शिक्षा मिलती रहे.

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