चंदौली: धान के कटोरे के रूप में विख्यात चंदौली में ब्लैक राइस के रूप में धान की खेती को लेकर एक नया अध्याय जुड़ गया. पिछले साल प्रयोग के तौर पर की गई ब्लैक राइस की खेती का प्रयोग सफल होता दिखाई दे रहा है. मौजूदा समय में नागालैंड की प्रजाति चाक हाओ धान किसानों की आय बढ़ाने का साधन बन गई है, जो कि औषधीय गुणों से परिपूर्ण भी है.
जिले में इसकी खेती पिछली बार की अपेक्षा बढ़कर पांच सौ हेक्टेयर से ज्यादा हो गई. इसके उत्पादन को देखते हुए जिला प्रशासन इसकी ब्रांडिंग के साथ ही बाजार तलाशने में जुट गया है. इसकी शुरुआत तत्कालीन कैबिनेट मंत्री रहीं मेनका गांधी की सलाह पर हुई थी, जो अब सफलता के शिखर की ओर बढ़ रही है.
जानकारी देते कृषि उपनिदेशक. ब्लैक राइस पर एक नजर
- ब्लैक राइस की खेती की शुरुआत पिछले सीजन में प्रयोग के तौर पर की गई थी.
- मात्र 15 प्रगतिशील किसानों ने शुरुआत की थी, ब्लैक राइस का उत्पादन लगभग 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
- पहले उत्पादन को बीज के रूप में तैयार किया गया फिर जिले के अलावा पूरे पूर्वांचल के किसानों में बीज वितरण किया गया.
- कुम्भ मेले में स्टॉल लगाकर इसकी ब्रांडिंग की गई थी. वर्तमान सीजन में 500 हेक्टेयर में खेती की जाएगी.
- जिला प्रशासन ब्रांडिंग में जुटा है, किसानों की उपज को बाजार उपलब्ध कराने के लिए डीएम चंदौली ने समिति बनाई है.
- आईटीसी, मॉल और अन्य ई-बाजार में अवसर तलाश रहे हैं. ब्लैक राइस की बाजार में कीमत चार सौ से पांच सौ रुपये किलो है.
सुगर फ्री है ब्लैक राइस
- ब्लैक राइसऔषधीय गुणों से परिपूर्ण है. ब्लैक राइस में जिंक और आयरन की मात्रा ज्यादा होती है.
- एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा बहुत और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम पाई जाती है, जिससे कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है.
- ब्लैक राइस को सुगर फ्री चावल भी कहा जाता है.
- इसे इंटरनेशनल राइस रिसर्च सेंटर वाराणसी की टीम ने भी सराहा है.
- पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के सुझाव पर ब्लैक राइस की खेती की शुरुआत हुई थी.
- किसानों की आय दोगुनी करने के लिए ब्लैक राइस की खेती का सुझाव दिया गया था.
- सीएम योगी ने भी इसे वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट की तर्ज पर विकसित करने की बात कही थी.
ब्लैक राइस की खेती का दायरा बढ़ रहा है. जिला प्रशासन अब इसकी ब्रांडिंग के साथ बाजार की खोज में जुट गया है. यह औषधीय गुणों से परिपूर्ण है.
-विजय सिंह, कृषि उपनिदेशक, चंदौली