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चंदौली: बाबा कीनाराम के तीन दिवसीय जन्मोत्सव का आयोजन, सीएम योगी करेंगे शिरकत

उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में अघोरपंथ के महान संत बाबा कीनाराम के तीन दिवसीय जन्मोत्सव कार्यक्रम की शुरुआत हो रही है. इस कार्यक्रम में सूबे के सीएम शिरकत करने चंदौली पहुंचेंगे. कार्यक्रम की तैयारियां जोरों पर की जा रही है.

बाबा कीनाराम का तीन दिवसीय जन्मोत्सव.

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Published : Aug 29, 2019, 10:44 AM IST

चंदौली: जिस प्रकार प्राकृतिक वैभव की दृष्टि से अत्यंत सरस व समृद्ध है. उसी प्रकार अध्यात्म साधना व निर्गुण-सगुण ब्रह्मा की प्राप्ति की दृष्टि से उतना ही समृद्ध रहा है. इस पवित्र धरती पर तमाम ऐसे साधक पैदा हुए जिन्होंने अपनी साधना का प्रयोग लोकहित में किया. इनमें अघोरपंथ के महान संत बाबा कीनाराम का अपना विशेष महत्व है. 29 अगस्त से बाबा के तीन दिवसीय जन्मोत्सव की शुरुआत हो रही है. जिसमें शिरकत करने यूपी के सीएम योगी गुरुवार को चंदौली आ रहे हैं.

बाबा कीनाराम के तीन दिवसीय जन्मोत्सव का आयोजन.

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सीएम योगी करेंगे शिरकत
अघोरपंथ के महान संत बाबा कीनाराम का जन्म चंदौली के रामगढ़ में 1601 ईसवी को रघुवंशी क्षत्रिय वंश में हुआ था. कालांतर में बाबा कीनाराम की शिष्य परंपरा में बाबा अवधुत भगवान राम ने अघोरपंथ को समाज से जोड़ने का कार्य किया. 29 अगस्त बाबा कीनाराम का 420 जन्मदिवस है और प्रदेश के मुखिया और सनातन धर्म के एक बड़े मठ के महंत योगी आदित्यनाथ यहां बाबा कीनाराम जन्मोत्सव में शामिल होने आ रहे हैं.

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बचपन से ही भजन-कीर्तन में रहते थे लीन
ऐसी किदवंती है कि अघोरपंथ के इतिहास में अनन्त स्थान रखने वाले संत बाबा कीनाराम बाल्यावस्था में ही अपने समवयस्क बालकों के साथ भजन-कीर्तन में लीन रहा करते थे. कीनाराम का विवाह 12 वर्ष की अवस्था में कर दिया गया, लेकिन गौना के एक दिन पूर्व उनकी पत्नी का देहावसान हो गया. बाबा कीनाराम का घर के कामकाज और पढ़ने-लिखने में मन नहीं लगता था.

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महात्मा शिवराम से ली दीक्षा
एक दिन कीनाराम घर से निकल पड़े और गाजीपुर जनपद के कारो गांव में रामानुजी संप्रदाय के महात्मा शिवराम के पास पहुंचे और दीक्षा ली. उसके बाद बाबा कीनाराम ने तमाम चमत्कार से लोगों का भला किया.

बाबा कालूराम ने दिया गुरु मंत्र
कालांतर में बाबा काशी के हरिश्चंद्र घाट पर आकर तप करने लगे, जहां उनकी भेंट अघोरी साधू बाबा कालूराम से हुई. बाबा कालूराम ने अपने वास्तविक स्वरूप का दर्शन देकर उन्हें क्रीं कुंड (काशी) में ले गए और अघोर मंत्र देकर कीनाराम को अपना शिष्य बना लिया.

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संवत् 1826 में ली समाथि
बाबा बीच-बीच में रामगढ़ भी आया करते थे. उन्होंने अपने गुरु शिवाराम की स्मृति में चार वैष्णव मठ मारुफपुर, नईडीह, परानापुर और महुअर में स्थापित किए. संवत् 1826 में 142 वर्ष की अवस्था में उन्होंने समाधि ली.

चमत्कारी कुएं की विशेषता
आपको बताते चलें कि रामगढ़ में स्थित आश्रम में एक चमत्कारिक कुआं है. जिसकी मान्यता है की यह ईंट से न बनकर गोबर के उपले से बनाया गया है. जिसमें 4 द्वार बनाए गए हैं, इस कुएं से चारों तरफ अलग-अलग स्वाद का पानी निकलता है. इस कुएं के पानी से स्नान करने मात्र से चर्म रोग, बुखार, मिर्गी, मूर्छा समेत तमाम असाध्य रोग खत्म हो जाते हैं.

देश-विदेश से आते हैं भक्त
वैसे तो पूरे साल बाबा के मठ भक्तों का मेला रहता है, लेकिन उनके अनुयायी बाबा के जन्मोत्सव को बड़े धूम-धाम से मनाते है. इस दौरान आसपास के जनपदों समेत देश विदेश लाखों भक्त बाबा के मठ पर आते हैं. वर्तमान में रामगढ़ स्थित उनके समाधि स्थल पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. श्रद्धालु उनका जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं. बाबा कीनाराम के जन्मोत्सव में पहली बार प्रदेश का कोई मुख्यमंत्री पहुंच रहा है.

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