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चंदौली: न्यायालय परिसर की मांग को लेकर अधिवक्ताओं ने किया प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश के चंदौली में न्यायालय परिसर सहित कई मांगों को लेकर अधिवक्ताओं ने कचहरी के सामने प्रदर्शन किया. अधिवक्ताओं का यह भी आरोप है कि जिले के आलाधिकारी चंदौली के साथ भेदभाव कर रहे हैं.

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अधिवक्ताओं ने किया प्रदर्शन.

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Published : Jan 30, 2020, 5:40 PM IST

चंदौली:न्यायालय परिसर सहित विभिन्न मांगों को लेकर अधिवक्ता कचहरी के सामने धरने पर बैठ गए. अधिवक्ता मौके पर डीएम को बुलाने की मांग करने लगे. अधिवक्ताओं का आरोप है कि शासन से न्यायालय परिसर के लिए धन अवमुक्त होने के बावजूद जिला प्रशासन इसके निर्माण में हीलाहवाली कर रहा है. सूचना के बाद मौके पर पहुंचे एडीएम के आश्वासन के बाद अधिवक्ताओं ने पत्रक सौंपा.

अधिवक्ताओं ने किया प्रदर्शन.
दरअसल चंदौली को 1997 में जिला घोषित किया गया, जिसके बाद 1998 में यहां न्यायालय का गठन किया गया. तब से लेकर अब तक स्थायी न्यायालय परिसर की मांग समय-समय पर की जाती रही है, लेकिन सपा, बसपा और भाजपा सरकारें आईं और चली गईं. किसी भी सरकार में अधिवक्ताओं की मांग पूरी नहीं हुई.

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अधिवक्ताओं का कहना है कि वर्तमान की योगी सरकार में अधिवक्ताओं का एक प्रतिनिधिमंडल जाकर सीएम से मिला. वकीलों की मांग पर स्थायी न्यायालय परिसर की समस्या को दूर करने के लिए सीएम योगी ने इसके लिए जरूरी धनराशि अवमुक्त करते हुए न्यायालय परिसर के गठन के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया, लेकिन बावजूद अबतक कोई काम शुरू नहीं किया जा सका, जबकि मार्च 2020 में इस धनराशि के इस्तेमाल की आखिरी तारीख है.

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अधिवक्ताओं का यह भी आरोप है कि जिले के आलाधिकारी चंदौली के साथ भेदभाव कर रहे हैं. जमीन उपलब्ध न होने की रिपोर्ट भेजकर न्यायालय परिसर को मुगलसराय स्थानांतरित किया जा रहा है. इसके अलावा रोडवेज, फायर बिग्रेड समेत विभिन्न कार्यालय जो अबतक किराए के मकान में चल रहे हैं, इनके जल्द निर्माण किए जाने की मांग की.

वहीं अधिवक्ताओं के धरने की सूचना के बाद एडीएम बच्चालाल मौके पर पहुंचे और पत्रक लिया. साथ ही उनकी विभिन्न मांगों को जल्द पूरा किए जाने का आश्वासन दिया. यही नहीं उन्होंने बताया कि न्यायालय परिसर के लिए अवमुक्त धनराशि वापस नहीं ली जाएगी. साथ ही न्यायालय के मुगलराय स्थानांतरित किए जाने की बात को निराधार बताया.

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