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अपहरण और बलात्कार मामले में आरोपी को 12 साल की सश्रम कारावास, जानें क्या है मामला - Special Judge SCST Act

विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट राजेंद्र प्रसाद की अदालत ने नाबालिक किशोरी के अपहरण और बलात्कार के मामले की सुनवाई की. अर्थदंड अदा न करने पर आरोपी को 6 माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. पुलिस ने 25 जून 2016 को इन मामले में धारा 363 , 366 376 भारतीय दंड संहिता और धारा 3/4 लैंगिक में मुकदमा दर्ज किया था.

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अपहरण और बलात्कार मामले में आरोपी को 12 साल की सश्रम कारावास

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Published : Mar 12, 2022, 9:41 PM IST

चंदौली. विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट राजेंद्र प्रसाद की अदालत ने नाबालिक किशोरी के अपहरण और बलात्कार मामले की सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने साक्ष्य के आधार पर आरोपित बबलू को 12 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई. साथ ही 10 हजार अर्थदंड से दंडित किया. अर्थदंड अदा न करने पर आरोपी को 6 माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी.

अभियोजन की ओर से विशेष अधिवक्ता पाक्सो शमशेर बहादुर सिंह ने तर्क प्रस्तुत किया. उन्होंने बताया कि इलिया थाना क्षेत्र निवासिनी पीड़िता के पिता ने पड़ोस के युवक पर पुत्री को बहला फुसलाकर ले जाने और उसके साथ बलात्कार करने का आरोप लगाया था. पुलिस ने 25 जून 2016 को इस मामले में संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था.

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साथ ही विवेचना कर रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत किया था. इसकी सुनवाई विशेष न्यायाधीश पाक्सो कोर्ट में हुई. न्यायाधीश ने साक्ष्य के आधार पर आरोपित बबलू को विभिन्न धाराओं में 12 वर्ष की कठोर कारावास का सजा सुनाया. वहीं, 10 हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया. अर्थदंड अदा न करने पर आरोपी को माह की अतिरिक्त सजा भुगतने का आदेश दिया है.

तेजाब फेंकने के दो आरोपी दोषमुक्त चंदौली

चंदौली विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट अंबर रावत की अदालत में तेजाब फेंके जाने के मामले की सुनवाई हुई. इस दौरान साक्ष्य के अभाव में दो आरोपितों को दोषमुक्त करने का आदेश दिया. मामले की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता जुबेर अहमद ओर शरफराज आलम ने बताया कि इलिया निवासी दिलीप कुमार दुबे ने 15 अक्तूबर 2017 को थाने में गांव के ही अशरफ और संजय पर तेजाब फेंकने का आरोप लगाते हुए प्रार्थना पत्र दिया गया था.

इस पर पुलिस ने वादी की तहरीर के आधार पर दोनों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर विवेचना के बाद न्यायालय में प्रस्तुत किया. इस मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट की अदालत में हुई. इस दौरान साक्ष्य सही न मिलने पर न्यायाधीश ने दोनों आरोपितों को दोषमुक्त कर दिया. साथ ही उनके जमानत और बंधपत्र निरस्त करने का निर्देश दिया.

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