चंदौली:उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने शनिवार को 10वीं और 12वीं का परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया. चंदौली के रहने वाले इलेक्ट्रिशियन के बेटे अभय शर्मा ने हाईस्कूल की परीक्षा में 91% अंक पाकर जिले में पहला स्थान प्राप्त किया है. इस उपलब्धि से अभय के साथ-साथ परिजन और गुरुजन भी काफी खुश हैं. अभय आगे चलकर वैज्ञानिक बनना चाहते हैं.
चंदौली के दीनदयाल नगर स्थित बाल शिक्षा निकेतन विद्यालय के छात्र अभय शर्मा ने दसवीं की परीक्षा में पूरे जनपद में पहला स्थान प्राप्त किया है. अभय विज्ञान वर्ग के छात्र हैं और 91% अंक पाकर जिले में प्रथम स्थान हासिल किया है. तमाम पारिवारिक झंझावतों से लड़ते हुए अभय ने न सिर्फ हाईस्कूल की परीक्षा में अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण किया, बल्कि जिले में टॉप भी किया है. उन्होंने इच्छा जताई है कि वह आगे चलकर इसरो का साइंटिस्ट बनेंगे और उसे नासा से भी आगे ले जाएंगे.
अभय शर्मा दीनदयाल नगर के रहने वाले हैं. पिता शिव जी शर्मा एक इलेक्ट्रिशियन हैं. अभय तीन भाई बहनों में सबसे छोटे हैं. परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. बावजूद इसके अब पढ़ाई की ललक देखने के बाद परिजन इसे उच्च शिक्षा दिलाना चाहते हैं.
सेकेंड हैंड किताबों से करते थे पढ़ाई
पिता शिव जी शर्मा ने आर्थिक तंगी और घरेलू हालात का जिक्र करते हुए कहा कि एक निजी कंपनी में बतौर इलेक्ट्रिशियन काम करता हूं. किसी तरह परिवार का जीविकोपार्जन चलता है. ऐसे में नई किताब खरीदने और फीस भरने के लिए हमारी क्षमता नहीं थी. मार्केट से सेकंड हैंड किताब और स्कूल की लाइब्रेरी की मदद से बच्चे की पढ़ाई पूरी हो सकी. बड़ी बेटी भी ट्यूशन पढ़ाकर मदद कर देती है. साथ ही स्कूल का भी सहयोग मिलता रहता है. इन विपरीत परिस्थितियों में भी अभय की मेहनत रंग लाई और उसने जिले में टॉप किया.
मां का छलका दर्द
अभय की मां मंजू शर्मा ने ईटीवी से बताया कि अभय के पिता हार्ट के मरीज है. किसी तरह परिवार का भरण पोषण हो जाता हैं. ऐसे में हम लोग अभय को भोजन कपड़ों के अलावा किसी तरह की सुख सुविधा नहीं दे पाते. यहां तक कि पढ़ाई में अच्छा होने के बावजूद ट्यूशन भी नहीं करा सके. स्कूल में पढ़ाई और होम लर्निंग के दम पर आज उसने यह मुकाम हासिल किया है. अभय की पढ़ाई के प्रति ललक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अभय स्कूल से आने के बाद हमेशा पढ़ता ही रहता है. बेटे की सफलता से उत्साहित परिजन आर्थिक स्थिति ठीक न होने को लेकर चिंतित है. उनका कहना है कि वह किसी भी हाल में अपने बेटे को पढ़ाएंगे.
शिक्षकों ने भी पढ़ाई में काफी मदद की
स्कूल के प्राचार्य उमाकांत त्रिपाठी का कहना है कि अभय के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के चलते अभय सेकेंड हैंड किताबों से पढ़ाई करता था. अभय की प्रतिभा को देखते हुए उसके स्कूल के शिक्षकों ने भी इसकी पढ़ाई में काफी मदद की. अभय के लिए स्कूल की लाइब्रेरी के दरवाजे खोल दिए और शिक्षकों ने भी अभय पर विशेष ध्यान देना शुरू किया. इसका परिणाम रहा कि अभय ने हाईस्कूल की परीक्षा में विज्ञान वर्ग में 91% अंक हासिल किया. जनपद में पहला स्थान लाकर परिवार और विद्यालय का नाम रोशन किया.