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मुरादाबाद में आर्थिक मंदी से जूझ रहा ट्रांसपोर्ट कारोबार, लाखों लोग रोजी-रोटी को मोहताज - उत्तर प्रदेश समाचार

यूपी के मुरादाबाद में ट्रांसपोर्ट आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है. जिसके चलते लाखों लोगों पर रोजी-रोटी का संकट गहरा गया है. इतना ही नहीं ट्रांसपोर्ट कारोबार से जुड़ें लोगों को कहना है कि वे अपने बच्चों की फीस तक नहीं भर पा रहे हैं.

ट्रांसपोर्ट कारोबार पर मंदी की मार.

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Published : Sep 19, 2019, 8:08 AM IST

Updated : Sep 19, 2019, 9:14 AM IST

मुरादाबाद: जिले का डींगरपुर गांव ट्रक नगरी के नाम से मशहूर है. यहां पांच हजार से भी ज्यादा लंबे वाले ट्रक हैं, जो अब मुरादाबाद से संभल रोड पर सड़क के दोनों के किनारे खाली खड़े हैं. राज्य और केंद्र सरकार को हर महा करोड़ों का टैक्स देने वाले यह ट्रक मालिक अब आर्थिक मंदी के चलते अपनी बेबसी पर खुद ही आंसू बहा रहे हैं.

मंदी की मार से जूझ रहा ट्रांसपोर्ट कारोबार.

मुरादाबाद के मैनाठेर थाना क्षेत्र के डींगरपुर इलाके से चलने वाले हबीबी ट्रांसपोर्ट, हबीबी रोड लाइन सहित एक दर्जन ट्रांसपोर्टर के पांच हजार से ज्यादा ट्रक हिंदुस्तान के हर राज्य से माल ढोने का काम करते हैं. पिछले 4 महीने से आर्थिक मंदी के चलते इन ट्रकों को काम मिलना बंद हो गया है. जिससे इस धंधे से जुड़े दो लाख लोग बेरोजगारी की कगार पर खड़े हैं.

आर्थिक मंदी के चलते गाड़ी बचाना मुश्किल
ट्रकों के ही काम से जुड़े मिस्त्री, टायर पंचर, बॉडी मेकर, वेल्डिंग करने वालों को भी रोजगार न मिलने से और भी बुरा हाल है. ट्रकों की किस्त जमा नहीं होने की वजह से फाइनेंसर ट्रक खींच कर ले जा चुके हैं. ट्रक मालिकों ने गेहूं और पत्नी के जेवर बेचकर फाइनेंसरों को ट्रकों की किस्तें जमा कर रहे हैं. फिर भी आर्थिक मंदी के चलते अपनी गाड़ी बचाना उन्हें मुश्किल हो गया है.

पांच हजार ट्रकों में से तीन हजार ट्रकों पर कोई काम नहीं
ड्राइवर कंडक्टर की रोजी रोटी को तो छोड़िए ट्रक मालिक अपने बच्चों की स्कूल फीस भी नहीं भर पा रहे हैं. ट्रक मालिकों की कमर टूट चुकी है. पांच हजार ट्रकों में से तीन हजार ट्रकों पर कोई काम नहीं है. माल न मिलने की वजह से ट्रकों की नगरी की कमाई बंद हो गई है. यही हाल रहा तो डींगरपुर इलाके में चार चांद लगाने वाला ट्रकों का यह कारोबार बर्बाद हो जाएगा.

फाइनेंसर गाड़ियां उठाकर ले जा रहे हैं
हबीबी ट्रांसपोर्ट के मालिक मोहम्मद जीशान ने बताया कि ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन में आज हम उस कगार पर खड़े हैं कि अपने घर का खर्चा भी नहीं उठा पा रहे हैं. डीजल महंगा हो गया, तीस से चालीस किलोमीटर पर टोल देना पड़ता है. फाइनेंसर गाड़ियां उठाकर ले जा रहे हैं. काम के बहुत बुरे हालात हो गए हैं.

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हाजी तजम्मुल ने बताया कि माल नहीं मिलने की वजह से ट्रांसपोर्ट का काम बंद हो गया है. पहले जिस माल का भाड़ा अस्सी हजार रुपये मिलता था, अब पचास हजार मिल रहा है. घर का खर्चा चलाना भी मुश्किल हो रहा है. बच्चों की फीस भी जमा नहीं हो पा रही है. गाड़ी की तीन चार महीने से गाड़ी की किश्त भी जमा नहीं होने की वजह से फाइनेंसर गाड़ी खींचकर ले जा रहे हैं.

वहीं ट्रकों में वेल्डिंग करने वाले इंतिखाब हुसैन का कहना है कि ट्रांसपोर्ट का काम बंद होने की वजह से हम लोगो को भी काम नही मिल पा रहा है. बच्चों की फीस भी नहीं जमा हो पा रही है. पहले पूरे दिन में चार पांच सौ रुपये कमा लेते थे अब तो सौ रुपये की मजदूरी भी नहीं हो पा रही है.

Last Updated : Sep 19, 2019, 9:14 AM IST

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