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मुरादाबाद: डेढ़ रुपये किलो बिक रहा टमाटर, किसान परेशान

यूपी के मुरादाबाद जिले में टमाटर की खेती करने वाले किसान परेशान हैं. लॉकडाउन के चलते किसान टमाटर को औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर हैं. किसानों का कहना है कि मंडी में टमाटर को डेढ़ से दो रुपये प्रति किलोग्राम के भाव से बेचने को मजबूर हैं.

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लॉकडाउन में डेढ़ से दो रुपये किलो बिक रहा टमाटर.

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Published : May 16, 2020, 8:32 PM IST

मुरादाबाद: कोरोना संकट के चलते लागू लॉकडाउन ने किसानों की रातों की नींद उड़ा दी है. मुरादाबाद मंडल के तीन जनपदों में हजारों बीघा जमीन में किसान टमाटर उगाते हैं. लॉकडाउन के चलते किसानों को टमाटर की खेती में भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. संकट के इस दौर में टमाटर उगाने वाले ज्यादातर किसान जमीन किराए पर लेकर खेती करते हैं.

लॉकडाउन में डेढ़ से दो रुपये किलो बिक रहा टमाटर.

ऐसे में इन किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है. मंडी में किसानों का उगाया टमाटर डेढ़ से दो रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है. इससे लागत भी वसूल नहीं हो पा रही है. बे-मौसम बरसात के चलते खेतों में टमाटर की फसल को नुकसान हुआ है. नुकसान के चलते ज्यादातर किसान अब मजदूरों के बजाय अपने परिवार के सदस्यों के साथ खेतों में काम करने को मजबूर है.

तीन जिलों में होती टमाटर ज्यादा पैदावार
मंडल के तीन जिलों मुरादाबाद, सम्भल और अमरोहा में हर साल चालीस हजार बीघा जमीन में किसान टमाटर की खेती होती है. खेतों में उगाई टमाटर की फसल अब तैयार हो गई है, लेकिन मंडी में व्यापारियों के न पहुंचने से किसानों को औने-पौने दामों पर टमाटर बेचने पड़ रहे हैं. मंडी में किसान बीस किलोग्राम की थैलियों में टमाटर बेचने पहुंचते हैं. जिनके बमुश्किल पैंतीस से चालीस रुपये तक किसानों को मिल रहे हैं.

खेती का खर्चा निकालना मुश्किल
एक बीघा जमीन में टमाटर उगाने का खर्च पन्द्रह हजार रुपये तक आता है, जबकि पांच हजार रुपया बीघा जमीन मालिक को किराया भी किसान देते हैं. एक बीघा जमीन में सामान्य मौसम में तीस कुंतल टमाटर पैदा हो जाता है लेकिन इस साल अप्रैल-मई में हुई बारिश से उत्पादन पन्द्रह से बीस कुंतल तक सिमट गया है. कम उत्पादन और कम कीमत के चलते किसानों को खेती में लगा खर्चा भी निकालना मुश्किल हो रहा है.

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पिछले साल बिके थे 18 से 23 रुपये प्रति किलोग्राम
पिछले साल की तुलना करें तो किसानों ने मंडी में 18 से 23 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से टमाटर बेचा था, लेकिन इस साल कोरोना ने किसानों का बजट बिगाड़ दिया है. किसानों के सामने दिक्कत यह भी है कि टमाटर की खेती में बरसात के बाद से गलन कि समस्या पैदा हो गई है. जो कि टमाटर की फसल को बर्बाद कर रही है. टमाटर उगाने वाले किसान जहां फसल की कीमत न मिलने से परेशान है. वहीं साल भर परिवार कैसे जीवन-यापन करेगा, इसकी चिंता भी उनको सता रही है.

दूसरे राज्यों में की जाती है सप्लाई
मंडल में उगाया टमाटर दूसरे राज्यों को भी सप्लाई किया जाता है और खेतों में टमाटर जमा करने के लिए किसान हर साल बड़ी संख्या में मजदूरों की मदद लेते थे. इस साल जब दाम सही नहीं मिल रहें तो मजदूरों के बजाय किसान अपने परिजनों से ही खेतों में काम ले रहे हैं. टमाटर तोड़ने वाले मजदूरों को एक दिन की मजदूरी दो से तीन सौ रुपये देनी होती है. ऐसे में इस मजदूरी को बचाने के लिए किसान परिवार के साथ खेतों में काम कर रहे हैं.

बाजार में बिक रहा बीस रुपये किलोग्राम टमाटर
टमाटर उगाने वाले ज्यादातर किसान बड़े किसानों से जमीन किराए पर लेकर खेती करते हैं. इसकी वजह से उन्हें सरकार द्वारा दी जा रहीं मदद से वंचित रहना पड़ता है. हैरानी की बात यह भी की किसानों का टमाटर मंडी में सस्ते दामों में बिक रहा है, लेकिन बाजार में यही टमाटर बीस रुपये प्रति किलोग्राम तक बेचा जा रहा है.

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