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मुरादाबाद: अपने गम को भुलाकर गरीबों के घर खुशियां बिखेर रहा यह रिटायर्ड रेलवे गार्ड - मुरादाबाद

ये कहनी है मुरादाबाद में रहने वाले एक बुजुर्ग की जो खुद के दुखों को पीछे छोड़ लोगों के जीवन में खुशियां बांट रहे है. उत्तराखंड आपदा में अपने बेटे- बहु और दो पोतियों को एक साथ खोने वाला यह बुजुर्ग अब गरीब बच्चों की निशुल्क शिक्षा देकर उनका जीवन सवार रहे है.

गरीबों के घर खुशियां बिखेर रहे आरके दीक्षित.

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Published : Sep 5, 2019, 10:37 AM IST

Updated : Sep 5, 2019, 10:48 AM IST

मुरादाबाद: इंसान की जिंदगी में हर दिन एक जैसा नहीं होता और न ही जिंदगी इंसानी सोच पर चलती है. ऐसी ही कुछ दास्तां है मुरादाबाद में रहने वाले एक बुजुर्ग की जो खुद के दुख को पीछे छोड़ लोगों के जीवन में खुशियां बांट रहा है. आपदा में अपने बेटे- बहु और दो पोतियों को एक साथ खोने वाले इस बुजुर्ग ने अब गरीब बच्चों की निशुल्क शिक्षा के लिए कोचिंग सेंटर खोला है. अब ये बुजुर्ग बच्चो को स्कॉलरशिप देकर उनका भविष्य सवार रहें है.

गरीबों के घर खुशियां बिखेर रहे आरके दीक्षित.

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इस शख्स का नाम आरके दीक्षित है. मुरादाबाद के सिविल लाइन क्षेत्र के रामगंगा विहार में रहने वाले आरके दीक्षित 9 साल पहले रेलवे से रिटायर हो चुके है. रामगंगा विहार स्थित अपने कोचिंग सेंटर में हर रोज गरीब परिवार के बच्चों को पढ़ाने वाले यह बुजुर्ग अपने सीने में वह दर्द लिए है जिसे शब्दों में बयां करना आसान नहीं है. 2013 में उत्तराखंड में आई आपदा के समय आरके दीक्षित के बेटे रमन अपनी पत्नी और दो बच्चियों के साथ केदारनाथ गए थे, लेकिन आपदा के बाद उनका कोई पता नहीं चल पाया. इस हादसे ने दीक्षित परिवार को ऐसे मुहाने पर खड़ा कर दिया जहां से आगे कुछ भी नजर नहीं आ रहा था.

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परिवार में एक के बाद एक मुश्किलें आनी शुरू हुई और आरके दीक्षित खुदकुशी करने की सोचने लगे. गम और हताशा में डूबे परिवार को कुछ दिनों बाद एक रास्ता नजर आया और अपनी पोतियों को याद करने के लिए इन्होंने गरीब परिवार की लड़कियों को पढ़ाना शुरू कर दिया. आरके दीक्षित ने गरीब बच्चों के लिए निशुल्क कोचिंग शुरू कर दी और अपने पेंशन से दो टीचर भी नियुक्त किए. अब तक सैकड़ों बच्चों को पड़ा चुकें आरके दीक्षित अब कुछ बच्चों को अपनी पेंशन से स्कॉलरशिप भी दे रहें है.

अब वे कोचिंग क्लास चलाते हैं जो बच्चों को अंग्रेजी, गणित, विज्ञान जैसे विषयों की जानकारी देते है. गरीब बच्चों के मुताबिक उनके लिए यह क्लास किसी तोहफे से कम नहीं है. जीवन में आई मुश्किलों का सामना करने के कई तरीके हो सकते हैं लेकिन अपनी मुश्किलों को पीछे छोड़कर दूसरों की मुश्किलों का हल निकालने से बढ़िया तरीका शायद ही कोई हो. दीक्षित परिवार ने हादसे में अपने चार सदस्यों को खोया लेकिन उस गम से उबरने की इस पहल ने आज उनको सैकड़ों परिवार तोहफे में दिए हैं.

Last Updated : Sep 5, 2019, 10:48 AM IST

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