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मुरादाबाद के नन्हें श्रवण कुमार के संघर्ष की कहानी

यूपी के मुरादाबाद जिले में रहने वाले तेरह वर्षीय अमन सिंह कहानी वाकई प्रेरणादायक है. ईटीवी भारत की टीम ने अमन के संघर्ष की कहानी जानने के लिए बात की अमन और उसके पिता से. यहां पढ़िए नन्हें अमन के संघर्ष की कहानी...

मुरादाबाद के तेरह वर्षीय अमन सिंह कहानी
मुरादाबाद के तेरह वर्षीय अमन सिंह कहानी

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Published : Dec 14, 2020, 2:15 PM IST

मुरादाबाद:कहते हैं हालात कितने भी बुरे क्यों ना हों, लेकिन उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए. शायद इसी उम्मीद में मुरादाबाद जिले का एक तेरह साल का लड़का अपनी दिव्यांग मां, हालात के कारण आंखों की रोशनी गवां चुके पिता और दो अन्य भाई बहनों के परिवार को पाल रहा है. छह साल की उम्र में जब उसे पेंसिल और कलम पकड़ना चाहिए था तो उसने ठेला गाड़ी की हैंडल पकड़ा. उसने अपने परिवार की उम्मीदों पर खरा उतरने का सफर तय करना शुरू किया. इस बात को तकरीबन 7 साल बीत चुके हैं, लेकिन उसने उम्मीद नहीं छोड़ी, जब सोशल मीडिया और अखबारों पर इस नन्हे श्रवण कुमार के बारे में रिपोर्टिंग की गई तो खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दिल भी भर आया. उन्होंने अपर प्रमुख सचिव को मुरादाबाद जिला प्रशासन से उन तमाम जानकारियों को लेने के लिए कहा, जिसके जरिए लड़के की मदद की जा सके. परिवार के पास अब धीरे-धीरे मदद पहुंच रही है.

मुरादाबाद के अमन सिंह की कहानी
जानिए कैसा रहा है अमन सिंह का सफर
मुरादाबाद से तकरीबन 15 किलोमीटर की दूरी पर कुंदरकी नाम का एक छोटा सा कस्बा है. यहां पर तेरह साल के अमन सिंह का पूरा परिवार रहता है. गरीबी और बीमारी के कारण अमन सिंह ने छह साल से ही अपने परिवार का भरण पोषण करना शुरू कर दिया. अमन के घर में उनके पिता पूरी तरह से अंधे हैं, जबकि मां दोनों पैरों से विकलांग हैं. इसके साथ ही अमन के घर में दो छोटे छोटे भाई बहन हैं. इन सभी की जिम्मेदारी अमन और उसके दिव्यांग पिता के कंधों पर है.
मुरादाबाद से तकरीबन 15 किलोमीटर की दूरी पर कुंदरकी नाम का एक छोटा सा कस्बा है. यहां पर तेरह साल के अमन सिंह का पूरा परिवार रहता है.
ठेलागाड़ी से सौ दो सौ की होती है आय
अमन ने छह साल की उम्र में ठेला गाड़ी चलाने की शुरुआत की. वह कुंदरकी कस्बे में ही स्थित एक सीमेंट की दुकान पर बालू-मौरंग भरकर दूसरों के घर पहुंचाने का काम करता है, जिससे प्रतिदिन सौ दो सौ रुपये की आय हो जाया करती है.
सीएम योगी का पसीज गया दिल
छह साल से अमन सिंह ठेला गाड़ी चलाते हैं, जिसमें उनके दिव्यांग पिता उसको पीछे से धक्का लगाते हैं. इस तरह परिवार की गाड़ी धीरे-धीरे आगे बढ़ती है. कुछ दिनों पहले स्थानीय अखबारों में जब अमन सिंह और उनके पिता की संघर्ष की कहानी छपी तो लोगों को इस नन्हे श्रवण कुमार के बारे में पता चला. इस खबर का संज्ञान खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिया. उन्होंने सूचना सचिव नवनीत सहगल को मुरादाबाद जिला प्रशासन से अमन सिंह और उसके परिवार के बारे में तमाम जानकारियां लेने का आदेश दिया और उचित मदद पहुंचाने को कहा.
गरीबी और बीमारी के कारण अमन सिंह ने छह साल से ही अपने परिवार का भरण पोषण करना शुरू कर दिया.
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद मिलेगी मदद
अमन और उसके परिवार के पास सब धीरे-धीरे मदद पहुंच रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पिता करण सिंह के आंखों का इलाज होगा. मां मीना देवी और छोटे भाई-बहन प्रांशु और इशानी को भी उचित सहायता प्राप्त होगी. इसके साथ ही सभी बच्चे स्कूल जा सकेंगे. परिवार की आय बढ़ाने के लिए उन्हें रोजगार भी उपलब्ध करवाया जाएगा. इसके साथ ही परिवार को मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत एक मकान भी उपलब्ध करवाया जाएगा, अगर जिला प्रशासन की मानें तो सरकार की अन्य कल्याणकारी योजनाओं के जरिए माता-पिता के लिए रोजगार की व्यवस्था की जाएगी.
वह कुंदरकी कस्बे में ही स्थित एक सीमेंट की दुकान पर बालू-मौरंग भरकर दूसरों के घर पहुंचाने का काम करता है
जल्द होगा पिता के आंखों का इलाज
सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अमन के घर अब अधिकारियों और नेताओं के पहुंचने का सिलसिला जारी है. अमन सिंह के पिता करण सिंह को एसडीएम द्वारा दस हजार रुपये की तात्कालिक मदद उपलब्ध करवाई गई है, जबकि आंखों के इलाज के लिए जल्द से जल्द व्यवस्था करने की बात कही जा रही है. ईटीवी भारत से बात करते हुए अमन ने कहा कि घर में माता दिव्यांग हैं और पिता को आंखों से दिखता नहीं है. कोई बड़ा भाई भी नहीं है तो मुझे ही परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी को उठाना पड़ा. हम तीन भाई बहन हैं. इस कारण से परिवार का खर्च भी है. हम ठेला गाड़ी चलाते हैं और उसे पापा पीछे से धक्का देते हैं, जो थोड़ी बहुत कमाई होती है, उससे परिवार का खर्च निकल जाया करता है.
सीएम योगी को दिया धन्यवाद
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अमन सिंह के मामले को संज्ञान में लिए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए तेरह वर्षीय अमन ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद करता हूं. उन्होंने अभी आर्थिक सहायता दी है, आगे भी परिवार के लिए बहुत कुछ करने को अधिकारियों ने कहा है. पिता की आंखों का इलाज भी हो जाएगा. इसके साथ ही मेरा सरकारी स्कूल में एडमिशन करवाया गया है. मैं भी अब पढ़ लिख कर आगे बढ़ सकता हूं. वहीं अमन के पिता करण सिंह ने बताया कि मुझे पिछले दस वर्षों से अंधापन है. मैं आंखों से देख नहीं सकता. पत्नी दिव्यांग है. इसके साथ ही परिवार में अमन के अलावा दो बच्चे और हैं. इन सभी के भरण-पोषण का जिम्मा मेरे ऊपर ही था. मैं आंखों का इलाज इसलिए नहीं करवा सका क्योंकि मां-बाप हैं नहीं तो देख रेख कौन करता. मेरा बेटा अमन परिवार का भरण पोषण करने में मदद कर रहा है. उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा आश्वासन दिया गया है कि जल्द ही मेरी आंखों का इलाज हो जाएगा और परिवार को अन्य सहायता भी उपलब्ध करवाई जाएगी.
क्या बोले जिम्मेदार
सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता सहित जिले के तमाम अधिकारी अमन के घर पहुंचे. डॉ विशेष गुप्ता ने अमन कि दिव्यांग मां को राशन पानी भेंट किया. वहीं अमन को एक साइकिल भेंट की. इसके साथ ही वह अमन के स्कूल गए, जहां पर उन्होंने अध्यापकों से बात की और अमन को विशेष शिक्षा-दीक्षा दिलवाने का निर्देश दिया. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए डॉ. विशेष गुप्ता ने कहा कि परिवार को सरकार द्वारा मिलने वाली तमाम सहायता आगे भी उपलब्ध करवाई जाती रहेगी. अभी अमन के पिता करण सिंह की आंखों का इलाज और परिवार को रोजगार उपलब्ध करवाना हमारी प्राथमिकताओं में से एक है. अमन वाकई में अपने परिवार के लिए श्रवण कुमार जैसे हैं, जिन्होंने अपने बचपन को त्याग कर परिवार का भरण-पोषण किया है.

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