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चुनावी उत्सव को गीतों और कविताओं की शक्ल दे रहे माहेश्वर तिवारी

कहते हैं साहित्य समाज का दर्पण होता है और साहित्यकार समाज में हो रही घटनाओं और देश की दिशा के बारे में बताता है. ऐसा ही कुछ मुरादाबाद में हो रहा है. यश भारती पुरस्कार से सम्मानित गीतकार माहेश्वर तिवारी अपनी कविताओं और गीतों से लोगों को चुनाव के लिए जागरूक कर रहे हैं.

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Published : Mar 30, 2019, 8:20 PM IST

माहेश्वर तिवारी से खास बातचीत.

मुरादाबाद : दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में इस वक्त चुनावी उत्सव धीरे-धीरे गति पकड़ रहा है. सियासी समीकरण, उम्मीदवारों का चयन, मतदाताओं को लुभाने और अपनी कुर्सी बचाने की जद्दोजहद लगातार जारी है. कल तक जो अपने थे आज वो विरोधियों से हाथ मिलाकर अपनों को ही आंखेंदिखा रहेहैं. लिहाजा समाज को अपनी कलम से दिशा दिखाने वाले कवि भला कैसे चुप रह सकते हैं. जनपद में यश भारती पुरस्कार से सम्मानित गीतकार माहेश्वर तिवारी लगातार अपने गीतों और कविताओं से लोगों को जागरूक कर रहेहैं.

माहेश्वर तिवारी से खास बातचीत.


सिविल लाइन थाना क्षेत्र में रहने वाले गीतकार माहेश्वर तिवारी साहित्य के क्षेत्र में जाना-पहचाना नाम है. अपने गीतों के जरिये समाज की समस्याओं को छूने वाले माहेश्वर तिवारी आम जीवन के हर पहलू को लेकर हमेशा संजीदा रहते है. लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होते ही गीतकार माहेश्वर तिवारी अपनी कलम के जरिये राजनीति के विभिन्न रंगों को कागज पर उकेर कर उन्हें अपनी आवाज दे रहें है. राजनीतिक दलों की सियासी तिकड़म हो या नेताओं की मौकापरस्ती, जनता को लुभाने के तरीके और सरकारों की वादाखिलाफी हर पहलू, कविताओं और गीतों की शक्ल में यहां मौजूद है.


चुनावी वादों,दावों और सभाओं को अपनी कविता के माध्यम से लोगों तक पहुंचा रहें माहेश्वर तिवारी कहते है कि जो राजनीति देश को नई दिशा देने के लिए कारागर हो सकती थी. वह आज नेताओं के व्यवहार के चलते हासिये पर आ गयी है. अपने गीतों के जरिये माहेश्वर तिवारी का यह दर्द भी खुलकर सामने आता है. जिंदगी के अस्सी बसन्त देख चुके गीतकार के मुताबिक देश में आज भी मतदान का कम प्रतिशत लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय है और ज्यादा से ज्यादा लोग मतदान करें और सरकार चुनने में सहयोग देंगे.


साहित्यकारों को हमेशा से समाज की समस्याओं को मुखरता से उठाने और समाज को राह दिखाने का जरिया माना जाता रहा है. चुनावी मौसम हो और कवि की नजर से कोई पहलू रह जाय यह सम्भव नहीं. गीतकार माहेश्वर तिवारी सालों से अपनी लेखनी से जन जागरण का काम कर रहें है और उम्र के इस पड़ाव पर भी उनकी लेखनी राजनीति के हर रंग को समेटने में जुटी है.

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