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लॉकडाउन से मुसीबत में फंसे राजस्थान के मूर्तिकार, एक वक्त खाकर कर रहे गुजारा

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में लॉकडाउन के चलते राजस्थान के मूर्तिकारों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मूर्तियां बेचकर जो पैसे इन कारीगरों द्वारा जमा किए गए थे, वह भी धीरे-धीरे समाप्त होने लगे हैं. इनके पास जो राशन था, वह भी समाप्त हो गया है, जिससे अब ये एक वक्त खाना खाकर गुजारा कर रहे हैं.

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मुरादाबाद में लॉकडाउन से मुसीबत में फंसे राजस्थान के मूर्तिकार.

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Published : Apr 11, 2020, 4:58 PM IST

मुरादाबाद: कोरोना संकट के चलते मूर्तियां बनाने वाले कारीगर भी परेशानी झेलने को मजबूर है. मुरादाबाद के मझोला क्षेत्र में रहने वाले राजस्थान के मूर्तिकार इन दिनों एक वक्त का खाना खाकर गुजारा कर रहे हैं. लॉकडाउन लागू होने के बाद इन लोगों के पास काम नहीं रह गया है. वहीं नवरात्रों के लिए तैयार की गई मूर्तियां भी नहीं बिक पाई. ग्राहकों के इंतजार में पहले से बनाई गई मूर्तियां गर्मी के मौसम में चटकने लगी है, जिससे नुकसान हर रोज बढ़ता जा रहा है.

मुसीबत में फंसे राजस्थान के मूर्तिकार.

नहीं मिल रही सरकारी मदद
सड़क किनारे रहकर मूर्ति बनाने वाले इन कारीगरों के पास पैसों की तंगी है और अब तक इनको सरकारी मदद भी नहीं मिल पाई है. अपने घर वापस जाने का इंतजार कर रहे इन कारीगरों को इंतजार है लॉकडाउन खुलने का. ताकि ये राजस्थान वापस पहुंच पाएं.

कोरोना संकट से मुश्किल में मूर्तिकार.

लॉकडाउन ने उम्मीदों पर फेरा पानी
मझोला थाना क्षेत्र के खुशहालपुर रोड पर राजस्थान से आये मूर्तिकार लंबे समय से रह रहे हैं. लॉकडाउन से पहले इनके परिवार के कुछ सदस्य पारिवारिक कार्यक्रम के चलते अपने घर राजस्थान लौट गए थे. जबकि 12 से ज्यादा लोग यहीं रुक कर मूर्तियां बनाने में जुटे थे. चैत्र नवरात्र के समय मूर्तियों की डिमांड बढ़ने के चलते इनको फायदे की उम्मीद थी, लेकिन कोरोना ने इनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया.

लॉकडाउन लागू होने के बाद जहां ग्राहक मूर्तियां खरीदने नहीं पहुंच पा रहे हैं. वहीं ये मूर्तिकार भी फेरी लगाकर ग्राहकों तक नहीं जा पा रहे हैं. इनके द्वारा बनाई गई सैकड़ों मूर्तियां ढेर लगाकर पंडाल में रखी गई हैं, जो हर रोज गर्मी बढ़ने के साथ चटक रही हैं. मूर्तियां बेचकर जो पैसे इन कारीगरों द्वारा जमा किए गए थे, वह भी धीरे-धीरे समाप्त होने लगे हैं और इनके भोजन की व्यवस्था ज्यादातर खाना बांट रहे लोगों पर निर्भर है.

मूर्तिकारों ने बयां किया दर्द
मूर्तिकारों के मुताबिक स्थानीय प्रशासन द्वारा अभी तक उनको मदद मुहैया नहीं कराई गई है और जो राशन उनके पास है, वह भी समाप्त होने जा रहा है. इनके पंडाल में लाखों रुपये मूल्य की मूर्तियां रखी हुई हैं. ऐसे में अगर लॉकडाउन लम्बा खींचता है तो इन्हें नुकसान का डर सता रहा है. यहां रह रहे कुछ कारीगर वापस घर लौटना चाहते हैं, लेकिन इसका कोई रास्ता फिलहाल नजर नहीं आता.

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लॉकडाउन का असर आने वाले समय में गणेश चतुर्थी पर भी पड़ेगा, जब इन मूर्तिकारों के पास सबसे ज्यादा काम होता है. राजस्थान से यहां आकर काम कर रहे कारीगर भविष्य को लेकर भी चिंतित हैं. साथ ही आने वाले समय में रोजगार के अन्य विकल्पों को घर में रहकर आजमाने का दावा कर रहे हैं.

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