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मुरादाबाद: लोकसभा सीट पर राजबब्बर की एंट्री ने बिगाड़ा अन्य दलों का समीकरण, कांग्रेस के लिए भी आसान नहीं राह

मुरादाबाद में कांग्रेस ने जबसे राजबब्बर को लोकसभा उम्मीदवार बनाया है तबसे अन्य विपक्षी पार्टियों में नए सियासी समीकरण बनाए जा रहे हैं. साथ ही मुरादाबाद में इस बार पैराशूट नेताओं को लेकर अस्वीकार्यता बढ़ी है.

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Published : Mar 19, 2019, 10:51 PM IST

राज बब्बर.

मुरादाबाद: लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनैतिक दल अपने सियासी समीकरण बनाने में जुटे है. मुरादाबाद लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने अपने प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर को मैदान में उतारा है जिसके बाद विपक्षी दल कांग्रेस के इस दांव की काट खोजने में जुटे है. सेलिब्रिटी उम्मीदवार को लेकर कांग्रेस ने 2009 में इस सीट पर जीत हासिल की थी, लेकिन मोहम्मद अजहरुद्दीन की कम सक्रियता के चलते कांग्रेस ने 2014 में भारी अंतर से यह सीट गंवा दी थी. वहीं एक बार फिर राजबब्बर को मैदान में उतार कर कांग्रेस अपना दावा सीट पर जता रहीं है. इन सबके बीचविपक्षी बाहरी उम्मीदवार का नारा देकर राह मुश्किल करने में जुट गई है.

देखें रिपोर्ट.


पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी जमीन तलाश कर रहीं कांग्रेस ने इस बार मुरादाबाद लोकसभा सीट से प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर को मैदान में उतारा है. फ़िल्म अभिनेता और सांसद रह चुके राजबब्बर के आने से कांग्रेस कार्यकर्ता जहां जीत के लिए आश्वस्त है वहीं बात आंकड़ों की जाएतो यह सफर इतना भी आसान नहीं है. विपक्षी दल राजबब्बर के आने से नए सियासी समीकरणों को तलाश रहें हैं. वहीं नफा-नुकसान का भी हिसाब लगाया जा रहा है.

25 साल बाद कांग्रेस कोमिली थी जीत

मुरादाबाद लोकसभा सीट का इतिहास देखें तो 2009 में पच्चीस साल बाद कांग्रेस ने इस सीट पर पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन को उतारकर विजय हासिल की थी. इससे पहले 1984 में कांग्रेस उम्मीदवार हफीज सिद्दिकी की जीत के बाद कांग्रेस को इस सीट पर 2009 में जीत हासिल हुई. वहीं कम सक्रियता के चलते अजहरुद्दीन को 2014 केचुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. इन सबके बीच राजबब्बर की एंट्री के बाद विपक्षी उनकी छवि को अजहरुद्दीन से ही जोड़कर देख रहें है..


1952 से लेकर 2014 तक हुए आम चुनावों में कांग्रेस ने पांच बार इस सीट पर जीत हासिल की है. पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस सीट पर कुंवर सर्वेश सिंह को मैदान में उतारा था. चुनाव नतीजों के बाद भाजपा उम्मीदवार को जहां चार लाख पिचासी हजार मत मिलें थे वहीं कांग्रेस उम्मीदवार बेगम नूरबानों को महज उन्नीस हजार सात सौ मतों पर संतोष करना पड़ा था. बेगम नूरबानों की हार के बाद कांग्रेस दुबारा इस सीट पर जीत हासिल करना चाहती है लिहाजा एक बार फिर सेलिब्रिटी को मैदान में उतारा गया है. राजबब्बर के आने से भाजपा और सपा-बसपा गठबन्धन का सियासी गणित गड़बड़ा गया है लिहाजा दोनों पार्टियां राजबब्बर पर निशाना साधने में जुटी है.

इस बार मुरादाबाद में पैराशूट उम्मीदवार को न

राजबब्बर को पैराशूट उम्मीदवार घोषित करने में जुटे भाजपा और सपा-बसपा गठबन्धन नए सियासी समीकरण तलाश रहें है. दोनों ही दलों ने अभी प्रत्याशी घोषित नहीं किये है और नए चेहरे उतारने की तैयारी भी चर्चाओं में है. 2009 में कांग्रेस ने पचास हजार मतों से सीट पर विजय हासिल की थी लिहाजा इस बार भी कांग्रेस अपने संगठन को मजबूत करने और अजहर वाला करिश्मा दोहराने की तैयारी में जुट गई है. विपक्षियों को जबाब देने के लिए कांग्रेस लगातार आक्रमक तरीके से जबाब दे रहीं है.

राजब्बर के मैदान में उतरने से भाजपा और गठबन्धन में हड़कम्प है वहीं कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती 2009 की जीत और 2014 के नतीजे को भूलने की है. भाजपा और गठबन्धन भले ही राजबब्बर के आने से कोई फर्क न पड़ने का दावा कर रहें हो लेकिन अंदरखाने सियासी चर्चा और उम्मीदवारों की घोषणा में देरी इसकी वजह बताई जा रहीं है. लोकसभा सीट पर किसको जीत मिलेगी और किसे हार यह तो 23 मई को ही मालूम चलेगा लेकिन राजब्बर के आने से मुरादाबाद लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष देखने को जरूर मिलेगा.

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