मुरादाबाद: कानून का डर कहे या लोगों का शिक्षित होना जिसकी वजह से मुरादाबाद जनपद के कांठ थाना क्षेत्र के दो गांव के लोगों पर या गांव वालों की तरफ से पिछले पांच साल में एक भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है. गांव वालों का कहना है कि गांव के लोग शिक्षित है. जिसकी वजह से गांव में होने वाला कोई भी विवाद आपसी सहमति से निपटा लिया जाता है. अगर कोई गलती करता है तो उसकी गलती उसको बता दी जाती है. वह अपनी गलती स्वीकार कर लेता है, जिससे पूरा विवाद ही खत्म हो जाता है. एसपी देहात ने बताया कि कांठ थाना देश के 10 टॉप थानों में 8 वें स्थान पर आता है. यह गांव भी इसी थाने में आते हैं. गांव में होने वाले किसी भी विवाद को आपस मे बैठकर निपटा लेते हैं. उनका कहना है कि पुलिस उनकी सुरक्षा के लिए है. 5 साल पहले जो एक मुकदमा हुआ था वह भी फर्जी पाया गया था, उसके बाद से आज तक कोई भी मुकदमा दर्ज नहीं है.
गांव देहात हो या शहर जहां आजकल किसी न किसी बात पर लोगों के बीच विवाद हो जाता है. अपनी शिकायत लेकर लोग थाने कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाते है. उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जनपद के 2 गांव ऐसे लोगों के लिए उदहारण है, जो छोटे छोटे विवाद होने पर थाने पहुंचकर मुकदमा दर्ज करा देते हैं. मुरादाबाद जनपद के कांठ थाना क्षेत्र के खंडसाल जुनारदार और असगरिपुर दो गांव ऐसे है, जहां पिछले 5 साल में गांव वालों की तरफ से कांठ थाने में किसी भी तरह का किसी के ऊपर कोई मुकदमा दर्ज नहीं कराया गया है. 5 साल पहले खंडसाल जुनारदार में धारा 386 में एक मुकदमा दर्ज हुआ था, जो झूठा होने के वजह से पुलिस ने खत्म कर दिया था. गांव असगरिपुर में भी 5 साल पहले एससी एसटी का मुकदमा दर्ज किया गया था, जो अदालत में विचाराधीन है. इसके बाद गांव वालों की तरफ से आजतक किसी के खिलाफ किसी भी तरह की कोई शिकायत कांठ थाने में की गई.
अगर कोई गलती करता है वह उसको मान ले तो कभी विवाद ही नहीं होगा
असगरिपुर गांव के रहने वाले अध्यापक जय पाल सिंह का कहना है कि हमारे गांव के लोगों के संस्कार झगड़ा करने वाले नहीं है. अगर कोई व्यक्ति गलती करे और गांव वाले उसकी गलती का एहसास करा दे और वह व्यक्ति अपनी गलती मान ले तो कभी कोई विवाद ही नहीं हो सकता. इसलिए हमारे यहां कोई गलती करता है तो वह अपनी गलती मान लेता है. 5 साल पहले किसी की झूठी शिकायत पर एक मुकदमा दर्ज हुआ था. वह भी झूठा पाया गया. उससे पहले दशको तक न कोई थाने में मुकदमा दर्ज हुआ और न ही 5 साल के बाद अब हुआ है. अपने आने वाली पीढ़ी को भी यही शिक्षा देते हैं. ग्राम प्रधानी में भी एक मत होकर चुनाव लड़ाते है, उसके वाबजूद भी कोई अलग जाना चाहता है तो वह स्वतंत्र है. उसमें भी किसी तरह का कोई विवाद नहीं होता हैं.