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किसान पंचायत में खाली रह गई कुर्सियां, भड़के कांग्रेस प्रवक्ता बोले- 'क्या छोले-भटूरे बेचेंगे'

मुरादाबाद में आज कांग्रेस प्रवक्ता मीम अफजल किसान पंचायत में शामिल होने पहुंचे थे. हालांकि यहां कांग्रेस किसानों को जुटाने में नाकाम रही. वहीं किसान आंदोलन के राजनीतिकरण के सवाल पर मीडिया पर भड़कते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि अगर राजनीतिक लोग राजनीति नहीं करेंगे तो क्या छोले-भटूरे बेचेंगे.

किसान पंचायत में खाली रह गई कुर्सियां.
किसान पंचायत में खाली रह गई कुर्सियां.

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Published : Feb 14, 2021, 1:44 PM IST

मुरादाबाद : किसान बिल के विरोध में जिले में महापंचायत करने पहुंचे कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता मीम अफजल ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि सरकार जिद पर अड़ी है, वह किसानों की सुध नहीं ले रही है. वहीं किसान बिल पर राजनीति करने के सवाल पर मीडिया पर भड़कते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि अगर राजनीतिक लोग राजनीति नहीं करेंगे तो क्या छोले भटूरे बेचेंगे. उन्होंने कहा कि जितने सवाल हमसे करते हो, उतने सरकार से भी करो. दरअसल कांग्रेस प्रवक्ता के भड़कने का एक बड़ा कारण यह भी था कि मंच के सामने पड़ी ज्यादातर कुर्सियां खाली पड़ी रहीं. कांग्रेस किसानों को जुटाने में नाकाम रही.

किसान पंचायत में खाली रह गई कुर्सियां.

दरअसल किसान बिल के विरोध में जहां भाकियू, हरियाणा, पंजाब सहित यूपी में जगह-जगह महापंचायत में भारी भीड़ जुटाकर किसान बिल की खामियां गिना रही है. वहीं कांग्रेस की किसान पंचायत में किसान नादारद दिखाई दे रहे हैं. इसी कड़ी में आज कांग्रेस प्रवक्ता मीम अफजल किसान पंचायत में शामिल होने के लिए मुरादाबाद के विशनपुर पहुंचे थे. पंचायत में पत्रकारों के सवालों से झुंझलाए मीम अफजल ने उनके साथ बदसलूकी भी की. पंचायत में कांग्रेस कार्यकर्ता किसानों की भीड़ जुटाने में नाकाम रहे.

किसान पंचायत में खाली रह गई कुर्सियां.

किसानों की आवाज को बुलंद कर रही है कांग्रेस
मीम अफजल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस देश के हर कमजोर तत्व के साथ में खड़ी है. तीनों कृषि कानून वापस होने चाहिए. आज हम गांव-गांव तक पहुंच रहे है ओर किसानों के हक में आवाज बुलंद कर रहे हैं. क्योंकी यह जबरदस्ती लादा जा रहा है. इनका वापस होना जरूरी है. किसानों की राय लेने के बाद नए कानून बनना चाहिए.

किसान पंचायत में खाली रह गई कुर्सियां.

सरकार जिद्दी है : अफजल
प्रधानमंत्री कृषि बिल में संशोधन करने को कह रहे हैं तो इस बात को क्यों नहीं मान लेते कि किसानों से बातचीत करके कानून बनाया जाए. आखिर सरकार जिद्दी क्यों है. उन्होंने कहा कि सरकार को कभी जिद्दी नहीं होना चाहिए. सरकार को किसानों के साथ इंसाफ करना चाहिए. पूरी सर्दी में जिस तरह किसान सड़क पर बैठा रहा है, ये उनके साथ जुल्म है.

राजनीति नहीं करें तो क्या छोले-भटूरे बेचेंगे
किसान आंदोलन का राजनीतिकरण होने के सवाल पर मीम अफजल बोले कि राजनीतिक पार्टियां राजनीति नहीं करेंगी और क्या करेंगी, छोले भटूरे बेचेंगी. भारतीय जनता पार्टी भी तो राजनीति कर रही है. वो तो सत्ता में होकर भी पूरी राजनीति कर रही है, उससे कोई सवाल नहीं किया जाता. उन्होंने भड़कते हुए कहा कि जितने सवाल मीडिया हम लोगों से करता है, अगर उतने ही सरकार से करता तो शायद किसानों की समस्या अब तक हल हो जाती.

किसान पंचायत में खाली रह गई कुर्सियां.

पंचायत में नहीं आये किसान
प्रदेश स्तर पर किए गए किसान पंचायत कार्यक्रम में किसानों के बजाय केवल गिनती के कांग्रेसी कार्यकर्ता ही नजर आए. कार्यक्रम स्थल पर पीछे तक कुर्सी खाली पड़ी रही. किसान पंचायत से किसान नदारद दिखे.

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