मुरादाबाद:कोरोना संकट के चलते पूरी दुनिया में कारोबारी गतिविधियां ठप हो गई हैं. वहीं प्रधानमंत्री के द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन करने के बाद मुरादाबाद के पीतल उद्योग में कुछ राहत मिलती नजर आ रहीं है. बता दें कि राम जन्मभूमि विवाद मामले में फैसला आने के बाद से ही मूर्ति कारोबारियों ने पीतल से बने राम दरबार और भगवान राम की मूर्तियां बनाना शुरु कर दिया था. वहीं राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन के बाद से कारोबारियों को इन मूर्तियों के लिए आर्डर भी मिलना शुरू हो गए हैं.
पूरे देश में भगवान राम के रावण को मारने का पर्व दशहरा और अयोध्या वापस आने पर दीपावली मनाई जाती है. हर साल इन त्योहारों पर लोग भगवान राम की मूर्तियां खरीदते हैं, लेकिन इस बार लोग पीतल की बनी राम मूर्तियां खरीदने को खासा उत्साहित हैं. बाजार में भगवान राम के अलग-अलग रूपों को दर्शाती मूर्तियां और राम दरबार मौजूद हैं, जो देश के कई राज्यों में सप्लाई हो रही हैं.
भगवान राम की मूर्तियों की है काफी डिमांड
कोरोना काल में मुरादाबाद का पीतल उद्योग भगवान राम के भरोसे चल रहा है. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का फैसला आने के बाद पीएम मोदी ने 5 अगस्त को मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन किया था. मंदिर निर्माण से उत्साहित राम भक्त इस बार राम दरबार और राम मूर्तियों की खरीदारी कर रहें है. दीपावली के मौके पर हर साल पीतल से बनी लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां डिमांड में रहती हैं, लेकिन कारोबारियों के मुताबिक इस बार राम मूर्तियों की काफी डिमांड है.
देश के कई राज्यों से मिल रहे ऑर्डर
मूर्ति कारोबारी अर्पित अग्रवाल ने बताया कि राममंदिर का निर्माण जल्द ही शुरू होने वाला है. इसको लेकर भक्तों में काफी उत्साह है. इसके चलते महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, दिल्ली के साथ दक्षिण भारत के कई राज्यों से भी व्यापारी राम दरबार के ऑर्डर दे रहें है. अर्पित गुप्ता के मुताबिक उनके पास सौ रुपये से लेकर एक लाख रुपये मूल्य तक के रामदरबार और राम मूर्तियां उपलब्ध हैं, जिन्हें लोग पसंद कर रहें है. चमकदार पीतल के साथ ये मूर्तियां एंटीक पीतल से तैयार की गई हैं.
इन कीमतों पर बिक रहीं मूर्तियां
निर्यातक कृष्ण गोपाल खन्ना ने बताया कि अन्य वर्षों के मुकाबले इस साल अन्य प्रदेशों के व्यापारी भी लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों को खरीद रहें है. पांच सौ साल बाद अयोध्या में राम मंदिर बनने के मौके पर ज्यादातर ग्राहक घरों के अलावा अपने प्रतिष्ठान, वाहन और मंदिरों के लिए मूर्तियां खरीद रहें है. उनका कहना है कि बाजार में पीतल की बनी मूर्तियां लगभग 600 रुपये किलो मूल्य की हैं, जबकि एंटीक मूर्तियां 800 रुपये किलो तक बिक रहीं है.
तीन करोड़ का है सालाना कारोबार
कृष्ण गोपाल खन्ना का कहना है कि कोरोना काल में उत्तर प्रदेश की राजनीति में परशुराम के जिक्र के बाद कुछ कारोबारियों को परशुराम की मूर्तियों के ऑर्डर भी मिले हैं, लेकिन इनकी संख्या काफी कम है. धनतेरस, दीपावली के मौके पर मुरादाबाद जनपद में हर साल लगभग तीन करोड़ रुपये का कारोबार होता है. कोरोना संकट के चलते इस साल कारोबारी नुकसान की आशंका जता रहे है, लेकिन राम मूर्तियों से कारोबारियों के नुकसान की भरपाई होने की संभावना है.