मुरादाबाद: जनपद में सरकार द्वारा कड़ाके की ठंड में बेसहारा गरीबों को आश्रय देने के लिए रैन बसेरों की व्यवस्था की गई है. नगर पंचायत स्तर से नगर निगम स्तर तक शहरी गरीबों को शेल्टर होम उपलब्ध करवाने की योजना उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा लागू है, लेकिन इन योजनाओं का कितना असर है इसकी बानगी मुरादाबाद में देखने को मिली.
ईटीवी भारत की टीम जब मुरादाबाद में रैन बसेरों की हकीकत जानने पहुंची तो वहां व्यवस्था तो सब चाक चौबंद मिली, लेकिन रैन बसेरा खाली मिला. टीम रेलवे स्टेशन के निकट 36 बेड वाले रैन बसेरे में भी गई, जो नगर निगम एक एनजीओ के माध्यम से संचालित करवाता है. यहां पर व्यवस्था तो चाक-चौबंद दिखाई दी, लेकिन यहां एक महिला के अलावा और कोई सोता नजर नहीं आया.
रेलवे स्टेशन के के पास फुथपाथ किनारे रह रहे गोरखपुर के रमेश से जब पूछा गया कि वह इतनी ठंड में यहां क्यों रह रहे हैं, रैन बसेरे में क्यों नहीं रहते. तब उन्होंने बताया कि यहां रैन बसेरा कहां है उन्हें पता ही नहीं है. वहीं दूसरे शख्स सनी से बात की गई तो उसने कहा कि कहीं-कहीं पर रैन बसेरों में पैसे मांगे जाते हैं, इसलिए वह रैन बसेरों में नहीं रह रहे हैं.
हर नगर निकाय में एक शेल्टर होम
आधिकारिक दावों की मानें तो मुरादाबाद जिले के हर शहरी क्षेत्र में कम से कम एक शेल्टर होम की व्यवस्था की गई है. मुरादाबाद नगर निगम द्वारा दो शेल्टर होम स्थाई रूप से, जबकि 8 अस्थाई रूप से स्थापित किए गए हैं. यहां पर ठहरने वाले लोगों की अनुमति संख्या तकरीबन 300 तक पहुंच जाती है. इसके अतिरिक्त शेल्टर होम्स में सरकार द्वारा वर्तमान समय में तमाम सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं, जो रोजमर्रा की जरुरतों के लिए पर्याप्त होती हैं. ईटीवी भारत ने शेल्टर होम्स की स्थिति को जानने का प्रयास किया. ईटीवी भारत के संवाददाता रेलवे स्टेशन के निकट 36 बेड वाले रैन बसेरे में गए, जो नगर निगम एक एनजीओ के माध्यम से संचालित करवाता है. यहां पर व्यवस्था तो चाक-चौबंद दिखाई दी, लेकिन यहां एक महिला के अलावा और कोई सोता नजर नहीं आया.