मुरादाबाद: पश्चिमी उत्तर प्रदेश की उपजाऊ जमीन को रासायनिक खादों की नजर लग गई है. गन्ना बेल्ट के लिए मशहूर यह उपजाऊ जमीन धीरे-धीरे बंजर होती जा रही है. जमीन में पोषक तत्वों की कमी से जहां पैदावार कम हो रही है वहीं किसानों की आमदनी पर भी इसका असर दिखने लगा है.
सरकार द्वारा मृदा परीक्षण कर किसानों से जमीन की उपजाऊ क्षमता को बचाने की अपील की जा रही है, लेकिन परीक्षण में आए नतीजे हैरान करने वाले हैं. फसलों के उत्पादन के लिए आवश्यक पोषक तत्वों के साथ जमीन में कार्बन जीवाश्म न्यून स्तर पर पहुंच गया है. कृषि विभाग इसके लिए रासायनिक खादों के साथ एक ही फसल उगाने को जिम्मेदार ठहरा रहा है.
रासायनिक खादों के इस्तेमाल से बंजर हो रही जमीन
पूरी दुनिया में 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है. दुनिया की अरबों की आबादी को जिंदा रहने के लिए उपजाऊ मिट्टी का ही सहारा है. दुनिया में तेजी से बढ़ती जनसंख्या के लिए भोजन जुटाना अपने आप में चुनौती है और मिट्टी की गुणवत्ता को बरकरार रखना समय की जरूरत बनती जा रही है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश की उपजाऊ जमीन सालों से लोगों की भोजन और अन्य जरूरतें पूरी करती आई है, लेकिन बदलते वक्त में जमीन में खनिज और दूसरे पोषक तत्व लगातार घटते जा रहें है जिसके चलते उत्पादन घटा है. कृषि विभाग से जुड़े अधिकारी इसके लिए रासायनिक खादों के इस्तेमाल और एक ही फसल पर आश्रित होने को जिम्मेदार मानते हैं.