मुरादाबाद: गन्ना बेल्ट के नाम से मशहूर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन का असर कोल्हू संचालकों पर भी नजर आ रहा है. मंडी और बाजार बंद होने से कोल्हू पर तैयार गुड़ बिक नहीं रहा है. जिसके चलते ज्यादातर कोल्हू बंद कर दिए गए है. लॉकडाउन के दौरान गांवों में लगने वाले साप्ताहिक बाजारों में कोल्हू के गुड़ की बड़ी डिमांड रहती थी, लेकिन ये बाजार भी अब बंद है.
गुड़ की कीमत में आई कमी
कोल्हू संचालकों के मुताबिक एक तरफ जहां मजदूर कोल्हू पर नहीं पहुंच रहें है. वहीं बिक्री ना होने से इसे बंद करना मजबूरी बन गया है. ग्रामीण इलाकों में मौजूद कोल्हू सप्ताह में एक बार चल रहे हैं और उनमें बनने वाले गुड़ को स्थानीय लोग ही खरीद रहें है. लॉकडाउन से गुड़ की कीमतों में भी कमी आई है.
लॉकडाउन का असर कोल्हू संचालकों पर भी पड़ा
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की गन्ना बेल्ट में जहां चीनी मिलों की बड़ी तादात है. वहीं स्थानीय स्तर पर कोल्हू भी बड़ी तादात में है. कोरोना संकट के चलते कोल्हू संचालकों पर भी असर पड़ा है और अब ज्यादातर कोल्हू बंद पड़े हैं. कोल्हू पर बनने वाले गुड़ को स्थानीय मंडियों के जरिए अन्य प्रदेशों तक भेजा जाता था, लेकिन वाहनों की आवाजाही बंद होने और मंडी में कारोबार न होने से गुड़ की बिक्री बंद हो गयी है.
लॉकडाउन के चलते गुड़ बिक्री करने वाले स्थानीय साप्ताहिक बाजार भी बंद है जिसका असर गुड़ की कीमतों पर भी नजर आता है. कोल्हू संचालकों के मुताबिक बिक्री न होने से गुड़ की कीमत कम हो गई है जबकि कोल्हू चलाने का खर्चा पहले की तरह ही है.
लॉकडाउन की अवधि बढ़ने पर बढ़ेंगी मुश्किलें
लॉकडाउन से पहले कोल्हू पर बनें गुड़ की कीमत तीस से बत्तीस रुपये प्रति किलो तक थी. जो अब 25 से 27 रुपये तक हो गई है. ग्रामीण क्षेत्रों में जो कोल्हू लगातार चल रहे थे वो अब सप्ताह में एक से दो दिन ही चल रहे हैं. कोल्हू संचालन में आने वाला खर्चा कम करने के लिए पहले के मुकाबले कोल्हू जहां कम चल रहे हैं, वहीं कोल्हू को बंद करना मजबूरी बन गया हैं. कोल्हू संचालक लॉकडाउन खुलने के बाद कोल्हू को शुरू करने का दावा कर रहें है, लेकिन लॉकडाउन की अवधि बढ़ने पर मुश्किलें ज्यादा बढ़ सकती है.