मुरादाबाद: जिले में एक बेटी लॉकडाउन की वजह से पिता का काम बंद होने पर अपने नन्हे कंधों पर परिवार का बोझ उठा रही है. रोज सुबह और शाम घर से साइकिल पर निकलकर घर पर बनाए मास्क ले जाकर गली मोहल्लों में बेच रही है, जिससे उसे 50 से 100 रुपये मिल जाते हैं.
साइकिल पर मास्क बेचकर घर का खर्च चला रही 10 साल की गुलसफा कोरोना से जंग लड़ रहे कोरोना योद्धाओं को यह नन्ही बच्ची फ्री में मास्क देती है, लेकिन इस मासूम की इस मासूमियत को देखकर कोई भी मास्क फ्री नहीं लेता है. हर व्यक्ति मास्क की कीमत 10 रुपये अदा कर देता है.
जिले के मझोला थाना क्षेत्र के जयंतीपुर के मीना नगर की रहने वाले 10 साल की गुलसफा लॉकडाउन के चलते परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ने पर अपने परिवार का बोझ अपने कंधों पर उठा रही है. मासूम गुलसफा के परिवार के लोग एक हफ्ते से मास्क बना रहे हैं, जिसे गुलसफा बाजार में बेच रही है, जो लोगों के लिए मिसाल बन गई है.
दरअसल, गुलसफा के पिता इन्तजात हुसैन सिलाई का काम कर परिवार का पालन पोषण करते हैं, लेकिन लॉकडाउन की वजह से सिलाई का काम नहीं हो पा रहा है, जिसके चलते परिवार के आगे आर्थिक संकट मंडराने लगा है. परिवार का पालन पोषण करने के लिए इन्तजात हुसैन अपनी पत्नी और दो बेटियों के साथ घर में मास्क तैयार कर रहे हैं. मास्क को बाजार में बेचने का जिम्मा बेटी गुलसफा के कंधों पर है.
तिरंगा मास्क की सबसे ज्यादा मांग है. गुलसफा प्रत्येक दिन सुबह-शाम गली मोहल्लों में साइकिल पर सवार होकर मास्क बेचती है. मास्क की कीमत 10 रुपये है. गुलसफा भले ही 10 साल की है, लेकिन वह यह जानती है कि सड़क पर खड़े कोरोना योद्धा कितनी मेहनत कर रहे हैं, इसलिए गुलसफा इन कोरोना योद्धाओं को यह मास्क फ्री देती है, लेकिन इस मासूम की मासूमियत का हर कोई कायल हो जाता है और गुलसफा को उसके मास्क की कीमत देता है. गुलसफा मास्क बेचकर 50 से 100 रुपये लेकर घर जाकर अपने पिता को देती है.
गुलसफा से जब ईटीवी भारत संवाददाता ने बात की तो उसने बताया कि पापा का सिलाई का काम है. लॉकडाउन की वजह से काम बंद हो गया है. परिवार में बहुत परेशानी हो रही है. पापा, मम्मी और दो बहनें पिछले एक हफ्ते से घर पर ही मास्क तैयार कर रहे हैं और मैं बाजार में साइकिल पर जाकर बेचकर आती हूं. गुलसफा से जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने मास्क की कीमत के बारे में पूछा तो उसने बताया कि एक मास्क दस रुपये का है. अगर कोई दो मास्क लेता है तो उनको 15 रुपये में बेच देते हैं.
गुलसफा ने हमें आगे बताया कि मास्क बेचकर 50 से 100 रुपये दिन भर में आ जाते हैं. वह रुपये लाकर पापा को देती हैं. लॉकडाउन के कारण काम बंद होने से पापा घर से बाहर नहीं निकल सकते हैं. इसलिए हम ही यह काम कर रहे हैं.
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मेरी सिलाई की दुकान है. लॉकडाउन होने की वजह से दुकान बंद है, जिसकी वजह से घर का खर्चा चलाना मुश्किल हो रहा है. घर पर एक हफ्ते से मास्क तैयार कर रहे हैं. बेटी मास्क लेकर बाजार में बेचकर 50, 100 रुपये ले आती है, जिससे चाय, नाश्ता और दवाई का खर्च निकल जाता है. इस समय हालात बहुत खराब हो गए है.
-इन्तजात हुसैन,गुलसफा के पिता