मुरादाबाद:उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली किसी से छुपी नहीं है. डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे अस्पताल जहां मरीजों के लिए परेशानी का सबब हैं, वहीं अनदेखी के चलते स्वास्थ्य महकमे की करोड़ों की संपत्ति तबेले में तब्दील होती दिख रही है. जिले के देहात क्षेत्रों में खोले गए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और उपकेंद्र देखरेख के अभाव में आखिरी सांसें गिन रहे हैं.
घरेलू सामान रखने का कमरा बना स्वास्थ्य केंद्र
स्टाफ की तैनाती न होने के चलते स्थानीय लोग इन जर्जर केंद्रों को अपने घरेलू कामों के लिए इस्तेमाल कर रहें हैं. वहीं इन केंद्रों में लगे दरवाजे खिड़की तक चोरी हो चुके है. इलाज के लिए कई किलोमीटर दूर जाने वाले ग्रामीण जहां इन केंद्रों की हालत सुधारने की मांग कर रहे हैं, वहीं स्वास्थ्य विभाग मूकदर्शक बना नजर आता है.
स्वास्थ्य उपकेंद्र के परिसर में घास का ढेर लगा हुआ है. यहां गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों को टीके लगाए जाते हैं और जरूरी दवाइयां दी जाती है. स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक इन उपकेंद्रों में महिला स्टाफ की तैनाती की जाती है, जो हर रोज यहां आकर दवाइयां वितरित करती हैं.
...कब होगा जीर्णोद्धार
गांव में लाखों की लागत से बनाए गए ये स्वास्थ्य उपकेंद्र अपनी आखिरी सांसें गिन रहे हैं. देखरेख के अभाव में इनकी दीवारें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं. दरवाजे-खिड़कियां चोरी होने के चलते इन उपकेंद्रों में गंदगी का अंबार लगा हुआ है.
मरीजों को हो रही परेशानी
स्वास्थ्य सेवाओं का ये हाल सिर्फ एक केंद्र तक नहीं सिमटा है. जिले के देहात क्षेत्रों में बनाए गए ज्यादातर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और उपकेंद्र जानवरों के तबेले बन चुके हैं और स्थानीय लोग इनमें घरों का बेकार सामान जमा कर रखते है. स्वास्थ्य विभाग की बदहाल सेवाओं का सबसे ज्यादा खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है, जिन्हें मामूली इलाज के लिए भी जिला मुख्यालय के चक्कर लगाने पड़ते हैं.
स्वास्थ्य विभाग के जिला स्तरीय अधिकारी स्टाफ की कमी के चलते बदहाली का दावा करते हैं. वहीं प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री जल्द ही जर्जर हो चुके भवनों को सही करने का आश्वासन दे रहे हैं.
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मुरादाबाद जिले में स्वास्थ्य विभाग के ऐसे भवनों की तादाद लगातार बढ़ रही है, जो पूरी तरह बदहाल हैं. स्टाफ की कमी, देखरेख का अभाव और अधिकारियों द्वारा ध्यान न देने से करोड़ों की संपत्ति तबेलों में तब्दील हो रहीं है. ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए बनाए गए ये भवन जरूरतमंदों के लिए सफेद हाथी ही साबित हो रहे हैं.