उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

मुरादाबाद: पीतल उद्योग में जल्द नजर आएंगी गैस संचालित भट्ठियां

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में शहर के निर्यातक गैस से संचालित भट्ठियों के इस्तेमाल की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं, जो वायु प्रदूषण कम करने में काफी मददगार है.

पीतल उद्योग में जल्द नजर आएंगी गैस संचालित भट्टियां
पीतल उद्योग में जल्द नजर आएंगी गैस संचालित भट्टियां

By

Published : Jul 8, 2020, 9:28 AM IST

मुरादाबाद:देश के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में शामिल मुरादाबाद में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा कुछ महीनों पहले कोयले की भट्ठियों को शहर से हटाने की मुहिम भी चालू की गई, लेकिन प्रदूषण के स्तर में इससे ज्यादा फर्क नजर नहीं आया. कोयले की भट्टियों की जगह अब शहर के निर्यातक गैस से संचालित भट्टियों के इस्तेमाल की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं, जो वायु प्रदूषण कम करने में काफी मददगार है.

मुरादाबाद जनपद में जल्द ही कोयले की भट्टियों की जगह गैस से संचालित भट्ठियां लेने जा रही हैं. पीतल निर्यातकों के समूह आईआईए के सदस्यों द्वारा गैस संचालित भट्ठी पर कार्य शुरू किया गया है, जिसके काफी बढ़िया नतीजे सामने आ रहे हैं.

कोयले की भट्ठियों का किया जाता है इस्तेमाल
दरअसल पीतल गलाने के लिए कोयले की भट्ठियों का पहले से इस्तेमाल किया जाता है. कोयले की भट्टियों से दिन भर जहरीला धुआं और धातु कण वायुमंडल में प्रवेश करते हैं, जिससे हवा की गुणवत्ता पर काफी असर पड़ता है. प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा कुछ समय पहले सीएनजी संचालित भट्ठी का ट्रायल शुरू किया गया है, जो शुरुआती दौर में है.

पीतल उद्योग में जल्द नजर आएंगी गैस संचालित भट्ठियां.

एलपीजी गैस संचालित भट्ठी विकसित
आईआईए सदस्यों द्वारा अब कोयले की भट्ठियों के विकल्प के तौर पर एलपीजी गैस संचालित भट्ठी विकसित की गई है. कोयले की भट्ठी के मुकाबले जहां इससे प्रदूषण न के बराबर होता है, वहीं इसे जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल किया जा सकता है.

सीएनजी संचालित भट्ठी का ट्रायल शुरू किया गया है,

धुआं और धातुकणों से प्रदूषण का खतरा नहीं
गैस संचालित भट्ठियों को अभी ट्रायल के लिए एल्युमिनियम को गलाने में इस्तेमाल किया जा रहा है. आईआईए सदस्यों के मुताबिक जल्द ही इसको पीतल गलाने में इस्तेमाल किया जाएगा. इस भट्ठी के आने से जहां मजदूरों को भी काफी राहत मिलेगी. वहीं इसको कोयले की भट्ठी की तरह दिन भर जलाए रखना जरूरी नहीं होगा. इन भट्ठियों से जहां तापमान को नियंत्रित करना आसान है. वहीं इसमें धुआं और धातुकणों से प्रदूषण का भी खतरा नहीं है.

गैस संचालित भट्ठियों को अभी ट्रायल के लिए एल्युमिनियम को गलाने में इस्तेमाल किया जा रहा है.

कोयले की भट्ठियां प्रतिबंधित
गैस संचालित भट्टी के शुरुआती नतीजे देखकर इसे तैयार करने वाले कारोबारी काफी उत्साहित हैं. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को भी जल्द ही इसके अप्रूवल के लिए आवेदन किया जाना है. पीतल उद्योग में कोयले की भट्ठियों को शहरी इलाकों से पूरी तरह प्रतिबंध किया गया है, जिसके बाद गैस संचालित भट्टियां एक बेहतर विकल्प हो सकती हैं.

ये भी पढे़ं-मुरादाबाद: नेशनल हाइवे किनारे मिली लाखों के कीमत की नशीली दवाइयां, जांच शुरू

ABOUT THE AUTHOR

...view details