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मुरादाबाद: पश्चिमी यूपी में 'तुलसी' उगा कर मुनाफा कमा रहे किसान - मुरादाबाद की ताजा खबरें

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी अब समय के साथ-साथ किसानी का तरीका और फसलों का प्रकार बदल रहा है. यहां किसान अब परम्परागत फसलों से इतर औषधीय पौधों जैसे तुलसी की खेती कर ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं. उद्यान विभाग भी इसके लिए अनुदान दे रहा है.

तुलसी की खेती कर ज्यादा मुनाफा कमा रहे

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Published : Nov 10, 2019, 10:41 AM IST

मुरादाबाद:गन्ना बेल्ट के नाम से मशहूर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान अब परम्परागत खेती से हटकर मुनाफा कमाने वाली खेती की तरफ रुख कर रहे हैं. बड़े पैमाने पर हो रही फूलों की खेती के साथ किसान औषधीय पौधों को भी उगा रहे हैं. मुरादाबाद जनपद के एक दर्जन से ज्यादा गांवों में किसान तुलसी के पौधे उगा रहे हैं, जो किसानों को कम लागत में ज्यादा मुनाफा दे रही है. सरकार भी किसानों को तुलसी के पौधों की खेती पर अनुदान मुहैया करा रही है. जिसके चलते हर साल किसान ज्यादा संख्या में तुलसी उगा रहे हैं. तुलसी के साथ अन्य औषधीय गुणों वाले पौधे भी किसानों के खेतों का हिस्सा बनते जा रहे हैं.

तुलसी की खेती कर ज्यादा मुनाफा कमा रहे किसान.
दो साल से उगा रहे तुलसी

मुरादाबाद जनपद के बिलारी तहसील के खानपुर गांव में रहने वाले किसान राजपाल यादव पिछले दो साल से अपने खेतों में तुलसी की फसल उगा रहे हैं. नवम्बर के महीने की शुरुआत में ही तुलसी के पौधे से बीज और तेल निकालकर बदायूं जनपद की मंडी में बेच दिया जाता है. शुरुआत में तुलसी की खेती करने से घबरा रहे राजपाल अब फसल से मिल रहे मुनाफे से खासे खुश हैं. राजपाल अपने खेतों में उगाई गई तुलसी से ही बीज लेकर अन्य किसानों को दे रहे हैं. बिलारी क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक गांवों में सैकड़ों किसान तुलसी की फसल से अपनी तकदीर बदल रहे हैं. खानपुर गांव में ही पचास से ज्यादा किसान आज बड़े पैमाने पर तुलसी की खेती कर रहे हैं.

प्रति हेक्टेयर खेती पर तीस प्रतिशत का दिया जाता है अनुदान

तुलसी के औषधीय गुणों के चलते इसके बीज और तेल की बाजार में खूब डिमांड है और इसकी फसल को कीड़ों से ज्यादा नुकसान भी नहीं पहुंचता. परम्परागत फसलों के मुकाबले यह फसल जहां ज्यादा लाभ देती है, वहीं पश्चिमी यूपी की उपजाऊ मिट्टी में इसकी पैदावार भी ज्यादा हो रही है. उद्यान विभाग द्वारा तुलसी की खेती पर प्रति हेक्टेयर तीस प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है, जिस कारण किसानों को लागत डूबने का खतरा भी नहीं है. जिला उद्यान अधिकारी के मुताबिक किसान औषधीय पौधों की खेती को नकद फसल होने के चलते ज्यादा पसंद कर रहे हैं और हर साल फसल का क्षेत्र बढ़ता जा रहा है.
बढ़ रही है औषधीय पौधों की मांग

औषधीय गुणों वाली यह फसल जहां किसानों की आमदनी बढ़ा रही है, वहीं घरों में भी तुलसी के पौधों की मांग बनी रहती है. एक हेक्टेयर में महज छह से सात हजार रुपये की लागत से तुलसी उगाई जा सकती है जो अन्य फसलों से कही ज्यादा सस्ती है. भविष्य में औषधीय पौधों की बढ़ती जरूरत किसान भी महसूस कर रहें है और खुद को भविष्य के लिए तैयार कर खुद को बदल रहे हैं.

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