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मुरादाबाद: कोरोना संकट के चलते बिगड़ा अंडे का फंडा, बिक्री न होने से कारोबारी मायूस

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में अंडे के कारोबारियों को काफी नुकसान हो रहा है. हालात ऐसे हैं कि कारोबारी अंडों को कम दामों में बेचने के लिए मजबूर हो चुके हैं.

poultry businessmen are facing loss
पोल्ट्री व्यवसायियों को नुकसान

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Published : Jun 3, 2020, 1:22 PM IST

मुरादाबाद: कोरोना संकट से जहां दुनिया दहशत में है. वहीं लॉकडाउन लागू होने से कारोबारी गतिविधियों की रफ्तार पर ब्रेक लग गया है. कोरोना संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित कारोबारों में पॉल्ट्री भी शामिल है. कोरोना के चलते जहां लोग चिकन-मांस से दूरी बना रहें है वहीं अंडे को भी ग्राहक नहीं मिल पा रहे.

अंडे की बिक्री हुई कम
जनपद में अंडे की बिक्री कम होने से जहां कीमतों पर असर पड़ा है, वहीं उत्पादन भी कम हो गया है. बाजार में कम डिमांड के चलते कारोबारी अंडे को औने-पौने दामों में बेचने को मजबूर हैं. लॉकडाउन लागू होने से पॉल्ट्री फॉर्म मालिकों को आवश्यक दवाइयां भी बमुश्किल उपलब्ध हो रही हैं. संकट के इस दौर में कारोबारी अब अंडे के बजाय मुर्गियां बेचने की जुगत में है ताकि नुकसान की भरपाई की जा सके.

लोग अंडों से कर रहे परहेज
कोरोना काल में अब लोग अंडों से भी परहेज करने लगे हैं. अंडों की बाजार में डिमांड न होने से जहां कीमतों पर असर पड़ा है, वहीं कारोबारियों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. लॉकडाउन से पहले अंडों की एक ट्रे बाजार में 100 रुपये से लेकर 120 रुपये तक बिकती थी, जो आजकल बमुश्किल 80 रुपये के हिसाब से बिक रही है.

पोल्ट्री व्यवसायियों को नुकसान

दामों में आई कमी
अंडों की एक ट्रे में तीस अंडे होते हैं. डिमांड कम होने से कारोबारियों के पास अंडों का कई दिन का स्टॉक जमा हो जाता है, जिसको नुकसान से बचने के लिए पचास रुपये ट्रे के हिसाब से बेचना मजबूरी हो जाता है. मुरादाबाद के मझोला क्षेत्र स्थित एक पॉल्ट्री फॉर्म में पहले साड़े चार सौ ट्रे अंडे का उत्पादन हो रहा था जो अब 100 ट्रे कम हो गया है.

बीमार हो रही मुर्गियां
कारोबारी फैजल के मुताबिक लॉकडाउन से पॉल्ट्री फॉर्म में मुर्गियों के लिए मंगाई जाने वाली दवाइयां कई दिनों बाद बढ़ी कीमतों में उपलब्ध हो रहीं है. इसके चलते एक तरफ मुर्गियां लगातार बीमार हो रहीं है, वहीं अंडों का उत्पादन भी घट गया है. फॉर्म में मौजूद सोलह हजार मुर्गियों के खाने के लिए हर रोज 35 कट्टे अनाज के दाने लग रहें है जो बजट बिगाड़ रहा है.

अंडों की डिमांड हुई कम
फैजल के पॉल्ट्री फॉर्म में मुर्गियों के खाने और मजदूरों की सैलरी मिलाकर पचास हजार रुपये तक का खर्चा होता है. वहीं इसके मुकाबले आमदनी काफी कम है. नुकसान से बचने के लिए कारोबारी मुर्गियां बेचने की कोशिश में जुटे हैं ताकि नुकसान की भरपाई की जा सके. अंडों की डिमांड कम होने के बाद मजदूर भी आने वाले दिनों को लेकर चिंतित हैं. लॉकडाउन समाप्त होने के बाद डिमांड बढ़ेगी. इसको लेकर भी संशय बना हुआ है.

कारोबारियों को हो रहा भारी नुकसान
कोरोना संकट के शुरुआत में मुर्गें-मुर्गियों से कोरोना होने की अफवाह के बाद लोग जहां चिकन और अंडों से दूरी बना रहें. वहीं लॉकडाउन के चलते ज्यादातर होटल भी बंद है. जनपद में कई लोग अंडा उत्पादन के जरिए अपना जीवन यापन कर रहें है जो अब मुश्किलों में है.

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