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पिता ने बेटी को दूल्हा बनाकर निकाली बारात, बोले बेटियों को मिले बराबरी

बारात निकलते हुए सबने देखी होगी, लेकिन सेहरा बांध कर दूल्हा बनी और बग्घी पर सवार युवती को शायद ही देखा हो. नए ख्यालों और जज्बातों की यह अनोखी मिसाल देखने को मिली मुरादाबाद शहर के राम गंगा विहार स्थित हिमगिरि कॉलोनी में. बैंड बाजों की धुन के बीच दूल्हे की तरह सेहरा बांधे बग्घी पर सवार युवती को देखकर हर कोई निहाल हो रहा था. वहीं नये दौर की नई कहानी का आगाज भी हो रहा था.

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Published : Dec 7, 2022, 12:30 PM IST

Updated : Dec 7, 2022, 3:14 PM IST

मुरादाबाद :दूल्हे की बारात निकलते हुए सबने देखी होगी, लेकिन सेहरा बांध कर दूल्हा बनी और बग्घी पर सवार युवती को शायद ही देखा हो. नए ख्यालों और जज्जबातों की यह अनोखी मिसाल देखने को मिली मुरादाबाद शहर के राम गंगा विहार स्थित हिमगिरि कॉलोनी में. बैंड बाजों की धुन के बीच दूल्हे की तरह सेहरा बांधे बग्घी पर सवार युवती को देखकर हर कोई निहाल हो रहा था. वहीं नये दौर की नई कहानी का आगाज भी हो रहा था.

दूल्हा बनी बेटी के साथ थिरकते पिता.

मुरादाबाद के राम गंगा विहार स्थित हिमगिरि कॉलोनी के रहने वाले अखिल भारत वर्षीय ब्राह्मण महासभा के प्रदेश महामंत्री राजेश शर्मा ने महिलाओं को समानता का अधिकार देने की पहल एक अनोखे अंदाज में शुरू की. दरअसल उन्होंने अपनी बेटी स्वेता भारद्वाज के विवाह के अवसर पर नई परंपरा की नींव डाली. लड़कों की तरह बेटी की बारात निकालने का निर्णय लिया और बग्घी पर बैठाकर ढोल नगाड़ों के बीच कॉलोनी से बारात निकलवाई. बेटी का विवाह बुधवार को है, लेकिन यह रस्म शादी से ठीक एक दिन पहले मंगलवार की रात निभाई. बेटी की इस अनोखी बारात का नजारा देख हर कोई हतप्रभ था. वहीं परिजनों और रिश्तेदारों ने इस परंपरा का तहेदिल से स्वागत किया.

बेटियों को बेटे के बराबर हक मिले :लड़की के पिता राजेश शर्मा का कहना है कि यह काम मैंने इसलिए किया जो लोग बेटियों और बेटों में भेदभाव की मानसिकता रखते हैं. ऐसे लोगों की सोच में बदलाव आना चाहिए. जब बेटा होता है तो लोग खुशियां मनाते हैं. अब मेरी बेटी 27 साल की हुई है. 27 साल पहले मुझे खुशी मनाने का अवसर नहीं मिला. ऐसे में मैंने इस अवसर को चुना, ताकि यह संदेश समाज के हर वर्ग के लोगों तक पहुंचे. मेरा मानना है कि लड़कियों को भी समानता का अधिकार मिलना चाहिए. आशा है कि निश्चित रूप से समाज को इस परंपरा से प्रेरणा मिलेगी और वे अपनी बेटियों को बेटे की तरह समानता का अवसर दें.

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Last Updated : Dec 7, 2022, 3:14 PM IST

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