मुरादाबाद: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आत्मनिर्भर भारत बनाने की बात कर रहे हैं. मुरादाबाद के दिल्ली रोड मनोहरपुर स्थित एग्री क्लीनिक एग्री बिजनेस कृषि केंद्र पर इन दिनों गोबर से दीये बनाए जा रहे हैं. गोबर के दीपक की बाजार में बहुत मांग बढ़ रही है. कम लागत में गोबर के दीपक बनाने वालों को काफी मुनाफा हो रहा है. लकड़ी के खांचे के अलावा मशीन से भी दीपक तैयार किये जा रहे हैं.
दीपावली का त्योहार आते ही घर में रोशनी करने के लिए दीपक की मांग बढ़ जाती है. मिट्टी के दीपक के अलावा इस बार गोबर के दीपक की बाजार में बहुत अधिक मांग है. मुरादाबाद के मझोला थाना स्थित एग्री क्लीनिक एग्री बिजनेस कृषि केंद्र में गोबर के दीपक बनाने का लोगों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. एक व्यक्ति एक बार में 500 दीपक तैयार कर रहा है. गोबर के दीपक बनाने के लिए एक किलो गाय के गोबर में मुलतानी मिट्टी, गेरू के अलावा गोंद मिलाकर आटे की तरह गुनकर पेस्ट तैयार किया जाता है. उसके बाद लकड़ी के खांचे में पेस्ट को डालकर दीपक तैयार किये जाते हैं. गाय के गोबर के दीपक का इस्तेमाल करने का फायदा इसलिए भी है कि दीपक जलने के बाद उसकी राख को घर के गमलों में खाद के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. एक दीपक बनाने में जो लागत आती है, वह मात्र 10 से 12 पैसे है, जबकि बाजार में एक दीपक 2 से ढाई रुपये में बिकता है.
खास बात यह है कि गाय के गोबर से बने इन दीयों को जलाने के बाद इसके राख को गमलों में डाल सकते हैं. साथ ही इन दीयों को जलाने से पर्यावरण भी संरक्षित होगा और महिलाओं को घर बैठे रोजगार मिलेगा.