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मुरादाबाद: इतिहास के पन्नों में नजर आएगा पीतल का सुनहरा दौर, बंद होने के कगार पर हैं कारखाने - moradabad news

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में पीतल उद्योग अपनी चमक खोता जा रहा है. जिले में घर-घर होने वाला पीतल उत्पाद का काम लगभग न के बराबर रह गया है और इसकी जगह अब लोहे, एल्युमिनियम, कांच और लकड़ी के बने उत्पादों ने ले ली है.

बंद होने के कगार पर है पीतल कारोबार.

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Published : Sep 12, 2019, 9:09 AM IST

मुरादाबाद: मुरादाबाद का नाम जेहन में आते ही यहां के पीतल उद्योग का चेहरा आंखों में उभर आता है, लेकिन बदलते दौर में इस शहर की पहचान पीतल उद्योग अब अपनी चमक खोता जा रहा है. पिछले कुछ सालों में अंतराष्ट्रीय बाजार में पीतल उत्पादों की मांग में कमी, चाइना से लगातार बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा, बुनियादी सुविधाओं का अभाव और ईरान- अमेरिका के बीच की बढ़ती तल्खी ने पीतल कारोबार की कमर तोड़कर रख दी है.

बंद होने के कगार पर है पीतल कारोबार.

जिले में घर-घर होने वाला पीतल उत्पाद का काम लगभग न के बराबर रह गया है और इसकी जगह अब लोहे, एल्युमिनियम, कांच और लकड़ी के बने उत्पादों ने ले ली है. आज से कुछ सालों पहले मुरादाबाद की तंग गलियों में पीतल का कारोबार कर रहें लोग इसी तरह दिन-रात मेहनत कर अपने हाथों के हुनर से अपनी तकदीर लिखते थे, लेकिन अब यह सब बीते वक्त की बात हो चुकी है.

अपनी चमक खो रहा पीतल उद्योग

मुरादाबाद पूरे देश में सबसे ज्यादा हस्तशिल्प उत्पादों का निर्यात करता है. इस सच के पीछे यह भी सही है की पीतल से अब इस शहर का रिश्ता छूटता जा रहा है. एक दौर में मुरादाबाद का पीतल निर्यात बीस हजार करोड़ रुपये के आस-पास था जो पिछले सालों में आठ हजार करोड़ तक सिमट गया. वर्तमान में साढ़े छह हजार करोड़ रुपये का निर्यात विदेशों को करने वाले इस शहर में अब पीतल सिर्फ नाम में नजर आता है. पीतल के प्रति लोगों की घटती रुचि के बाद कारोबारी अब मिक्स मैटल का इस्तेमाल कर रहे हैं.

अंतराष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा के चलते बंद हो रहा कारोबार

पीतल के घटते कारोबार के पीछे जहां विदेशों में इसकी घटती मांग जिम्मेदार है वहीं पीतल उत्पादों का सबसे बड़े खरीदार देश ईरान ने भारतीय उत्पादों के लिए अपने दरवाजे बंद कर दिए है. ईरान द्वारा भारतीय उत्पादों पर प्रतिबंध का सबसे ज्यादा नुकसान मुरादाबाद को हुआ है. जिसके चलते सालों से चलने वाली पीतल की फैक्ट्रियां अब बन्द होने के कगार पर है. इन फैक्ट्रियों में काम करने वाले कारीगर अब पलायन कर दूसरे कामों में हाथ आजमा रहे हैं. बाजार में मिक्स मैटल की बढ़ती मांग और अंतराष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा के चलते कारोबारी पीतल को लेकर कोई नुकसान मोल नहीं लेना चाहते. कारोबारियों के मुताबिक नोटबन्दी, जीएसटी जैसे फैसलों ने पीतल उद्योग को समेट कर रख दिया है.

मिक्स मेटल से बन रहे उत्पाद

पीतल के मुकाबले मिक्स मैटल से बने उत्पाद जहां ज्यादा सुंदर होते है वहीं इनकी कीमतों में भी काफी अंतर है. समय के साथ बदलते कारोबारी माहौल में मिक्स मैटल को लेकर ज्यादा उम्मीद रख रहें है. जिसके चलते पीतल का इस्तेमाल लगातार कम होता जा रहा है. एक समय दुनिया में अपनी चमक से नाम कमाने वाली यह पीली धातु अब हर गुजरते समय के साथ अपने निशान पीछे छोड़ती जा रहीं है. कारोबार से जुड़े जानकर भी मानते हैं कि अगर सब कुछ ऐसे ही चलता रहा तो जल्द ही पीतल के सुनहरा दौर सिर्फ इतिहास के पन्नों में नजर आएगा.

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