मिर्जापुर: मिर्जापुर सदर विधानसभा एक ऐसी हॉट सीट है. जहां पर बहुजन समाज पार्टी को एक भी जीत नहीं हुई है. यहां पर शुरू से ही जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी का दबदबा रहा है. यहां पर भारतीय जनता पार्टी से रत्नाकर मिश्रा विधायक है. मां विंध्यवासिनी धाम में निवास होने के चलते हैं, विधायक का भारतीय जनता पार्टी में बड़े नेताओं से अच्छी पकड़ है. केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार के कोई भी बीजेपी के विधायक सांसद से लेकर मंत्री तक मां विंध्यवासिनी का दर्शन पूजन करने आते हैं, विधायक रत्नाकर मिश्रा ज्यादातर दर्शन पूजन कराते हैं. ऐसे में विधायक रत्नाकर मिश्रा के कामकाज से उनके इलाके के जनता कितनी संतुष्ट है और क्या काम कराया गया और क्या रह गया बाकी सीधे जनता से सुनिए.
उत्तर प्रदेश में कुछ ही महीनों बाद विधानसभा चुनाव होने वाला है. चुनावी किला भेदने के लिए सभी पार्टियों ने अभी से कमर कसना शुरू कर दिया है. साथ ही कई पार्टियां सड़क पर भी उतर चुकी हैं. और अपने तमाम बैठकों सम्मेलनों और अभियानों के जरिए अपने वोटर्स को साधने में जुट गए हैं. बहुजन समाज पार्टी ब्राह्मण सम्मेलन कर उन्हें लुभाने का जहां काम कर रही है. वहीं समाजवादी पार्टी साइकिल दौड़ा कर सत्ता में वापसी आना चाह रही है, जबकि सत्तारूढ़ बीजेपी अपनी तैयारी में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है. दिल्ली से लेकर लखनऊ तक बड़े नेताओं की मीटिंग और चुनाव 2022 की रणनीति हर दिन होती दिखाई दे रही है. 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के मिर्जापुर जनपद में ऐतिहासिक जीत हुई थी, जिसे बरकरार रखने का भरसक प्रयास किया जा रहा है.
वहीं विधायक के काम को लेकर जब ईटीवी भारत ने विधानसभा क्षेत्र यानी सदर विधानसभा के कई गांव और शहर में विकास के दावे की पड़ताल की तो हकीकत सामने कुछ और ही आई है. सरकार बनते ही जहां कहा गया था कि प्रदेश की सभी सड़कें गड्ढा मुक्त हो जाएंगी, मगर मिर्जापुर में उसके उलट दिखाई दे रहा है. यहां के लोगों का कहना है कि पिछले 2 से 3 साल से हम लोग सड़क को लेकर काफी परेशान हैं. शहर की सड़कें पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी हैं. कहा जाता है कि अमृत जल योजना का काम चल रहा है, जिसके चलते सड़क खराब है. इसके अलावा जितने वादा 2017 की विधानसभा के चुनाव में किए गए थे. वह वादा भी सभी धरे के धरे रह गए हैं.
शहर में खराब सड़कों को लेकर लोगों की जुबानी
अमृत जल योजना के तहत शहर में कार्य कराया जा रहा है. जिसके चलते हैं दो सालों से शहर की अधिकांश सड़कें विंध्याचल से लेकर पूरे शहर में हर गली हर मोहल्ला कि ज्यादातर सड़कें खराब नजर आपको मिलेगी. शहर के रेलवे स्टेशन के पास रहने वाले छोटे बताते हैं कि शहर की इतनी सड़कें खराब है कभी गाड़ियां भी पलट जाती है. 3 सालों से सड़कों का यही हाल है. महंगाई इतनी बढ़ी है कि उसकी कोई सीमा नहीं है. विधायक के 5 सालों के काम की बात किया जाए तो यहां पर उनका कुछ काम नहीं हुआ.
सड़कों को लेकर ई रिक्शा चालक मनोज भी परेशान दिखाई दिए. ई रिक्शा चालक ने बताया कि स्टेशन रोड से लेकर संगमोहाल या इमामबाड़ा कहीं भी जाइए आप को सभी सड़कें खराब मिलेंगी. कोई बनवा नहीं रहा है विधायक यहां पर कोई काम नहीं कराए हैं. सबरी चौराहा से नटवा तिराहा जा रही सड़क के पास रहने वाले रवि गुप्ता भी बताते हैं कि दो साल से यह सड़क खराब है. इस सड़क मार्ग पर भारी वाहन भी जा रहे हैं. कभी सीवर बिछाने तो कभी फाइबर बिछाने तो कभी अमृत जल योजना के नाम पर सड़क खोद दी जाती है और फिर उसे बनवाया नहीं जाता है. कई बार इसकी शिकायत जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों तक से की गई, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है.
क्या कहा विधायक के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों ने
अकोढ़ी गांव में कर्णावती नदी के पुल हर दिन बबुरा के तरफ से आकर शहर जाने वाले बाबा गुप्ता बताते हैं कि अकोढ़ी का पुल कई सालों से टूटा पड़ा हुआ है. पुल तो बन रहा है मगर धीमी गति से काम किया जा रहा है. जितने समय में काम पूरा हो जाना चाहिए था अभी पूरा नहीं हो पाया है. जिसके चलते भारी वाहन या चार चक्का गाड़ी 32 किलोमीटर सफर कर गांव पहुंचना पड़ता है. साथ ही गांव में एंबुलेंस भी नहीं पहुंच पाती है. लगभग दर्जनों गांव की यह परेशानीकई सालों से बनी हुई है. शिक्षा और सड़क की हालात बहुत सही नहीं है. बिजली में थोड़ा सुधार हुआ है. बबुरा के रहने वाले आदर्श सिंह ने बताया कि इस सरकार में शिक्षा बिजली स्वास्थ्य तो सही है, यहां पर जो परिवहन की व्यवस्था है वह बहुत खराब है. आने जाने के लिए यह पुल 2017 से टूटा हुआ है. बन तो रहा है इसकी स्पीड बहुत धीमी है इसके कारण लोग परेशान हैं. विधायक के कामकाज से यहां के लोग ज्यादातर संतुष्ट हैं और वह लोगों के बीच आते रहते हैं.
अकोढ़ी गांव के रहने वाले भोला सिंह बताते हैं कि यहां पर किसानों के लिए कोई रास्ता नहीं है. एक पुल भी बन रहा है तो बहुत धीमी गति से काम किया जा रहा है. किसानों को अपने अनाज और भूसा को लाने के लिए 30 किलोमीटर का चक्कर लगाकर लाना पड़ता है. जिले में सबसे ज्यादा धान की खेती इस इलाके में होती है. मगर खाद की व्यवस्था तक नहीं हो पाती है. यहां के किसान लाखों रुपए खाद खरीदते हैं, उनको कोई सब्सिडी नहीं मिलती है. बिजली शिक्षा व्यवस्था तो सही हुई है इस सरकार में मगर विधायक के कामकाज से सब संतुष्ट नहीं हैं. बब्बे ने बताया कि यहां पर दर्जनों गांव हैं. सबसे बड़ा आवश्यकता रेलवे ओवरब्रिज का है. वह बन जाए तो सारी समस्या दूर हो जाएगी. पुल तो बन रहा है, लेकिन यह धीमी गति से काम होने से ग्रामीणों को अभी और दिन इंतजार करना पड़ेगा.
परवा गांव के रहने वाले सूरत की पीड़ा सुन आप भी सोचेंगे कैसे यहां के लोग रहते हैं
सूरत का कहना है कि यहां पर बहुत कुछ करने का जरूरत है. यहां पर इलाज के लिए कोई अच्छा हॉस्पिटल नहीं है और न पढ़ाई के लिए बच्चों के लिए कोई अच्छी कॉलेज है. रामपुर घाट पर पुल नहीं होने से बहुत असुविधा होती है. बाढ़ जाने पर सबसे ज्यादा परेशानी लगभग दर्जनों गांव को होती है, जिनको मिर्जापुर प्रयागराज जाने के लिए 70 किलोमीटर का अलग से सफर करना पड़ता है. बाढ़ आ जाने पर यहां के लोगों को एंबुलेंस में भी नहीं मिल पाती है. एंबुलेंस वाले कहते हैं कि आपके गांव में रास्ता नहीं है. इसलिए एंबुलेंस नहीं पहुंच पाएगी, वहीं 5 सालों में क्या बदलाव हुआ तो बताया कुछ बदलाव हुआ है. छात्र अर्जुन यादव अलग कठिनाई है. अर्जुन बताते हैं कि गांव मे दो स्कूल है, जिसमें एक स्कूल में बच्चे फूल हो जाते हैं तो दूसरे में टीचर नहीं है. जिसके चलते हम लोगों को 20 किलोमीटर का सफर कर मिर्जापुर शहर जाना पड़ता है. हायर एजुकेशन के लिए प्रयागराज या वाराणसी जाना पड़ता है, क्योंकि यहां पर कोई विश्वविद्यालय नहीं है.