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घर-घर जाकर शिक्षा की अलख जगा रहे शिक्षक - children are not studying online in mirzapur

यूपी के मिर्जापुर में परिषदीय विद्यालय के शिक्षक घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं. आनलाइन क्लास से वंचित बच्चों को जिले के 1806 परिषदीय विद्यालय के अध्यापक रोस्टर के हिसाब से गांव में जाकर कोर्स पूरा कराने में लगे हुए हैं.

मिर्जापुर में घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षक.
मिर्जापुर में घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षक.

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Published : Dec 17, 2020, 10:44 PM IST

मिर्जापुर: कोरोना काल में छोटे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसलिए शिक्षक अब घर-घर जाकर शिक्षा की अलख जगा रहे हैं. गांव के खलिहान और द्वार पर ही क्लास लगाकर बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं. जिले के 1806 परिषदीय विद्यालय के अध्यापक रोस्टर के हिसाब से जाकर बच्चों के कोर्स पूरा कराने में लगे हुए हैं. यह वह बच्चे हैं जिनके पास स्मार्ट मोबाइल और टीवी नहीं है. जिसके चलते व्हाट्सएप, ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे थे.

मिर्जापुर में घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षक.



परिषदीय विद्यालयों के ऑनलाइन पढ़ाई हुई ध्वस्त
परिषदीय विद्यालयों में ऑनलाइन पढ़ाई व्यवस्था फेल होने के बाद अब शिक्षा विभाग शिक्षकों को छात्रों के घर भेज कर पढ़ाने में जुट गया है. जिले के 1806 परिषदीय विद्यालयों में टीचर छात्रों के घर पहुंच कर उन्हें पढ़ा रहे हैं और होमवर्क दे रहे हैं. कोरोना महामारी में 9 माह से स्कूल बंद होने के कारण परिषदीय विद्यालय में पठन-पाठन प्रभावित है. विभाग की ओर से ई पाठशाला की पहल शुरू की गई मगर संसाधनों के अभाव में यह कारगर साबित नहीं हो सकी. अधिकांश अभिभावकों के पास स्मार्ट फोन न होने के कारण बच्चे ऑनलाइन क्लास नहीं कर सके. जिन अभिभावकों के पास मोबाइल भी है तो उनके नेट की समस्या बनी रहती है, लिहाजा ईपाठशाला को सफलता नहीं मिल पाई.

खलिहान और घर के बाहर लग रहीं कक्षाएं
कोरोना वैश्विक महामारी से लड़ते हुए 7 महीने बाद बड़े बच्चों के स्कूल तो खुल गए लेकिन आज भी आठवीं तक के स्कूल बंद चल रहे हैं. प्राइवेट स्कूलों के बच्चे तो ऑनलाइन की पढ़ाई तो कर रहे हैं लेकिन सरकारी स्कूल के बच्चों के ऑनलाइन पढ़ाई नहीं हो पा रही थी. ज्यादातर बच्चों के पास स्मार्टफोन नहीं है. शहरों में तो फिर भी ठीक है लेकिन गांवों में खेती-किसानी और मजदूरी करने वाले लोगों के पास स्मार्ट फोन नहीं हैं. ऐसे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसलिए जिले के सभी परिषदीय विद्यालयों के अध्यापक बच्चों को घर-घर जाकर पढ़ाने का निर्णय लिया है. बच्चों के शिक्षा प्रभावित को देखते हुए शिक्षक गांव में जाकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बच्चों को खेत खलिहान में और द्वार पर बैठा कर शिक्षा की अलख जगा रहे हैं.

रोस्टर के हिसाब से शिक्षक गांव में जाकर पढ़ाते हैं
हर दिन गांव में जाकर बच्चों के पढ़ाने के लिए शिक्षकों के लिए रोस्टर बनाया गया है. शिक्षक रोस्टर के हिसाब से प्रत्येक गांव में खलिहान और द्वार पर जाकर बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग से बैठाकर पढ़ा रहे हैं. जिसका अगले दिन निरीक्षण भी किया जाता है और बच्चों से पूछा जाता है. शिक्षको के इस कार्य को पूरे क्षेत्र में सराहा जा रहा है. अभिभावक खुश हैं कि जो बच्चे घूमते थे वह पढ़ने में व्यस्त हो गए हैं. शिक्षकों का मानना है कि पढ़ाई लिखाई का यह कार्य किसी भी स्थिति में रुकना नहीं चाहिए. हमारा उद्देश्य सभी बच्चों का कोर्स पूरा कराना.

अभिभावकों का मिल रहा भरपूर सहयोग
बीएसए गौतम प्रसाद ने बताया कि जिले में ऑनलाइन क्लासेज पहले की भांति चलाए जा रहे हैं. जिन बच्चों के पास या उनके अभिभावक के पास स्मार्ट फोन नहीं है उनको पढ़ाने के लिए एक सूची बनाकर अध्यापकों को रोस्टर के हिसाब से घर घर जाकर काम देने को कहा गया है. जिले के सभी 1806 परिषदीय विद्यालयों के अध्यापक घर-घर जाकर पढ़ा रहे हैं. अच्छा रिस्पांस मिल रहा है और अभिभावक जुड़ रहे हैं, अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए आगे भेज रहे हैं. इसके साथ ही बच्चों को मोजा, जूता स्वेटर भी दिया जा रहा है. गांवों में टीचर के जाने से कम्युनिटी पर बहुत प्रभाव पड़ रहा है. जो बच्चे जो घूमते थे अब वह पढ़ने में जुट गए हैं.

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