मिर्जापुर: आधुनिकता की दौड़ में और मोबाइल का क्रेज बढ़ने से रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में यात्री मैगजीन, अखबार पढ़ते नजर नहीं आते हैं और बुक स्टालों से बिक्री कम होने से धीरे-धीरे दुकानें बंद हो रही हैं. आलम यह है कि दुकानदार भुखमरी के कगार पर आ गए हैं. मिर्जापुर रेलवे स्टेशन पर तीन बुक स्टाल की दुकानें थी, जिसमें से दो बंद हो चुकी हैं. वहीं अब यात्री मैगजीन के पन्ने पलटते हुए नहीं दिखते, खबरों से लेकर मनोरंजन तक यात्री मोबाइल में ही देख लेते हैं. अगर यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं, जब स्टेशनों के बुक स्टाल महज इतिहास के पन्नों तक ही दफन होकर रह जाएंगे.
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बुक स्टाल पर बिक्री कम होने से भुखमरी की कगार पर दुकानदार
एक दौर था जब दो दशक पहले अच्छी पुस्तकों और अखबार के लिए लोग रेलवे स्टेशन की बुक स्टालों पर जाते थे और सफर के दौरान ज्ञानवर्धक पुस्तकों का सहारा लेते थे. जिससे उनका ज्ञान तो बढ़ता ही था, साथ ही टाइम पास भी हो जाता था. वहीं आज के समय के बदलते दौर में यात्रा के समय किताब और अखबार खरीदना और उनके पन्ना पलटना दूर की बात होती जा रही है. अब रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर बने बुक स्टाल महज केवल अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं.
फ्री वाई-फाई मिलने से घटा मैगजीन और अखबार का क्रेज
वहीं इस मामले पर ईटीवी भारत ने यात्रियों से बातचीत कर उनकी राय जानी, जहां यात्रियों का कहना था कि पहले हम लोग यात्रा के समय या रेलवे स्टेशन पर टाइम पास करने के लिए और ज्ञान के लिए मैगजीन अखबार का सहारा लेते थे लेकिन अब स्टेशन पर वाई-फाई और अपने मोबाइल में नेट होने से हम लोग दुकान से किताब या अखबार नहीं लेते हैं. हम लोग खबरे, गाने और वीडियो मोबाइल में ही देख लेते हैं.
ईटीवी भारत ने इस मामले में दुकानदार बृजेश उपाध्याय से बातचीत की, जहां उन्होंने कहा कि मोबाइल का क्रेज आ गया है और यात्री अखबार और मैगजीन क्यों खरीदेगा. अखबार उसको चार रुपये में में मिलता है. जबकि रेलवे स्टेशन पर फ्री वाईफाई की सुविधा है. वहीं यात्रियों मोबाइल में भी नेट फ्री चल रहा हैं, इसलिए दुकानों पर ग्राहक आना कम हो गए हैं और हम लोग भुखमरी की कगार पर आ गए हैं. मिर्जापुर स्टेशन पर तीन बुक की दुकानें थी. जिसमें से दो दुकानें बंद हो चुकी हैं, एक है अभी तो मैं उसको महज कुछ घंटों के लिए खोलता हूं, लेकिन ग्राहक का इंतजार रहता है. जहां इक्का-दुक्का कोई ग्राहक आ गया तो आ गया, नहीं तो खाली हाथ ही मुझे दुकान बंद करके वापस जाना पड़ता है.