मिर्जापुरः शक्ति आराधाना के लिए विंध्य पर्वत पौराणिक काल से ही प्रसिद्ध है. यहां पर मां विंध्यवासिनी के साथ मां अष्टभुजा और महाकाली का मंदिर विराजमान है. महाकाली मंदिर को लोग काली खोह के नाम से ज्यादा जानते हैं. इस मंदिर का तंत्र साधना के लिए विशेष महत्व है. काली खोह मंदिर में तंत्र साधना के लिए तांत्रिक नवरात्र की सप्तमी तिथि को मां के सातवें स्वरूप कालरात्रि की साधना करते हैं.
देवताओं के आग्रह पर किया था रूप धारण
आम भक्त भी पूरी श्रद्धा के साथ मां का दर्शन करते हैं. कहा जाता है कि यहां पर तंत्र विद्याओं की बड़ी आसानी से सिद्धि हो जाती है, इस वजह से तांत्रिकों का यहां बड़ा जमावड़ा लगता है. भक्त यहां पर अपनी मनोकामना पूर्ण कराने के लिए मां के दर्शन करने आते हैं. इस मंदिर की सबसे अलग विशेषता है कि मां का मुख यहां पर खेचरी मुद्रा में यानी ऊपर की तरफ है. पुराणों के अनुसार जब रक्तबीज दानव ने स्वर्ग लोक पर कब्जा कर सभी देवताओं को वहां से भगा दिया था. तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश सहित अन्य देवताओं की प्रार्थना पर मां विंध्यवासिनी ने महाकाली का ऐसा रूप धारण किया था.