मिर्जापुर: गर्मी के सीजन शुरू होते ही कुम्हारों की भी कमाई शुरू हो जाती है. हर वर्ष गर्मी के सीजन में लस्सी के गिलास, चाय पानी के कुल्हड़ के साथ घड़े के ऑर्डर तेजी से मिलते थे, जिसके कारण कुम्हार पर्याप्त मात्रा में मिट्टी बर्तन उपलब्ध नहीं करवा पाते थे. मगर इस बार कोरोना महामारी के चलते ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं, जिससे कुम्हारों के चाक का पहिया थम सा गया है और परिवार का भरण-पोषण करने में मुश्किल हो रही है. वहीं कुम्हारों को जो कुछ उम्मीद बची थी वो बरसात आ जाने से टूट गई. कुम्हार एक सीजन में 20 हजार रुपये तक की कमाई करते थे. जनपद में कुल 2211 परिवारों का जिला खादी ग्रामोद्योग में सूची है. इस हिसाब से करोड़ों रुपये के नुकसान कुम्हारों को हो रहा है.
मिर्जापुर सिटी विकासखंड के ग्राम सभा लखमापुर के कुम्हार अपने परिवार के साथ पीढ़ी दर पीढ़ी से ही मिट्टी का बर्तन बनाने का काम करते आ रहे हैं. इसी पुश्तैनी काम से घर का खर्चा चलता है. मगर इस बार कोरोना वैश्विक महामारी आने से परिवार की स्थिति बहुत दयनीय हो गई है. परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है. हर वर्ष गर्मी के सीजन में लस्सी वाली कुल्हड़, चाय की कुल्हड़ और पानी का कुल्हड़ के साथ घड़े की बिक्री खूब होती थी. हाल ऐसा होता था कि कुम्हार लोगों को पर्याप्त मात्रा में बर्तन उपलब्ध नहीं करवा पाते थे.
एक परिवार 20 हजार रुपये तक कमाई कर लेते थे. मगर इस बार कोरोना महामारी की वजह से लस्सी चाय की दुकानें नहीं खुली. साथ ही गर्मी में होने वाले शादियों के सीजन के बारात में कम संख्या आने से पानी के कुल्हड़ और करवा के ऑर्डर नहीं मिले. इसके अलावा लॉकडाउन में लोग घरों में रहे, जिसके कारण घड़े की बिक्री नहीं हुई और न ही इस बार सड़क किनारे प्याऊ लगाए गए. इसके चलते इन कुम्हारों के तैयार मिट्टी के बर्तन घरों में स्टोर हैं.