मिर्जापुर: सरकार जल जीवन मिशन योजना के तहत गांव-गांव में करोड़ों की लागत से पाइप लाइन के माध्यम से पानी पहुंचाने का काम कर रही है, ताकि लोगों को पीने के लिए स्वच्छ और शुद्ध पानी मिल सके. लेकिन विभागीय उदासीनता की वजह से आज भी मिर्जापुर के नक्सल प्रभावित तहसील मड़िहान के पटेहरा ब्लॉक के कई गांव में पानी की समस्या से ग्रामीणों का बुरा हाल है. सुबह होने पर महिलाएं पानी के लिए निकल लेती हैं. महिलाओं का पूरा दिन पानी लाने में ही चला जाता है. महिलाओं का कहना है कि जब से शादी हुई है तब से केवल पानी ही लाने का काम करती हूं. वहीं, इस मामले में खंड विकास अधिकारी कहना है कि जहां पर पानी की समस्या है वहां पर टैंकर की व्यवस्था की गई है. पानी की समस्या के लिए कंट्रोल रूम भी बनाया गया है. जब इस समस्या की जानकारी जिला अधिकारी को दी गई तो जिलाधिकारी बात करने से बचती नजर आई.
सुबह होते ही पानी लेने निकल जाती हैं महिलाएं
मिर्जापुर जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर नक्सल प्रभावित तहसील मड़िहान के पटेरा ब्लॉक के गांव में शासन की योजना के तहत लाखों रुपये तो विकास कार्य के नाम पर आते हैं, लेकिन हकीकत में उसका कितना फायदा ग्रामीणों को मिल रहा है, इसकी वानगी इन गांव में देखने को मिल रही है. यहां ग्रामीणों को पीने के पानी के भी लाले पड़े हुए है. सुबह होते ही महिलाएं पानी के लिए निकल लेती हैं और उनका पूरा दिन पानी लाने में ही चला जाता है. पानी की समस्या देखते हुए लोग पशु भी नहीं पालते हैं. दीपनगर, पटेहरा कला, मलुआ, कन्हईपुर, रजौहा, शीतलगढ़ पटेहरा, बहरछठ समेत कई गांव पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. लोग सुबह होते ही पानी के लिए लाइन में लग जाते हैं. गांव की महिलाएं बच्चों के साथ ठेले के माध्यम से और अपने सिर पर बाल्टी व डिब्बे रखकर गांव के बोरिंग से पानी लेकर घर पहुंचती हैं. वहीं, जिस दिन बिजली नहीं आई तो उस दिन और ज्यादा समस्या हो जाती है.
900 लोग पानी की समस्या से परेशान
पटेरा चौकी के पास बहरछठ गांव की रहने वाली अंजनी ने बताया कि 'जब से शादी हुई है 10 साल से केवल पानी लाने का काम करती हूं. पटेहरा की रहने वाली महिला चिरंजीवी ने कहा कि जिनके पास बोर है वह भी पानी नहीं लेने देते हैं. वे भगा देते हैं. खाना तो है मगर पानी नहीं है. सुबह से ही बिना खाए पानी के लिए निकलती हूं. पानी लाने के बाद खाने की व्यवस्था करती हूं. रीना ने बताया कि परिवार वाले बाहर कमाने चले गए हैं. हम लोग केवल पानी भरने का काम करते हैं. जिसके यहां जाते हैं वह भी नहीं लेने देते. बोलते हैं अपना बोर करा लो. पटेहरा कला कोलबस्ती के रहने वाले रविशंकर ने बताया कि एक किलोमीटर से पानी लाने का हम ग्रामीण काम करते हैं. इंसानों का तो काम चल जा रहा है, लेकिन पशुओं का नहीं चल पा रहा है. यहां पर 900 लोग पानी को लेकर लगभग परेशान हैं'.