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मिर्जापुर-2 से अलग है मिर्जापुर 'रियल'

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Published : Oct 30, 2020, 2:40 PM IST

Updated : Nov 1, 2020, 7:01 PM IST

मिर्जापुर वेब सीरीज का पार्ट-2 इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रहा है, लेकिन दूसरी तरफ इस पर मिर्जापुर को बदनाम करने का कलंक भी लग रहा है. क्योंकि इस वेब सीरीज में जो दिखाया गया है, मिर्जापुर की रियल स्टोरी इससे एकदम अलग है. कहा जा रहा है कि जिस तरह से मिर्जापुर को क्राइम सीरियल में पोट्रेट किया गया है, पूरी तरह गलत है. भारत के प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थलों में से एक है. फिर ऐसा क्यों? आगे पढ़िए मिर्जापुर 'रियल' की पूरी कहानी…

स्पेशल रिपोर्ट.
स्पेशल रिपोर्ट.

मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में खास अहमियत रखने वाला मिर्जापुर जिला विंध्याचल धाम के नाम से भी प्रसिद्ध है. यहां मां विंध्यवासिनी का मंदिर है, जहां लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं. वहीं प्राकृतिक सौंदर्यता से परिपूर्ण यह शहर आस्था और शांति का भी अहसास कराता है. ऐसे में लोगों का सवाल है कि फिर मिर्जापुर की आपराधिक छवि क्यों बनाई जा रही है, इससे तो लोगों में डर पनपेगा?, जबकि मिर्जापुर पर्यटन और आस्था का केंद्र है. यही वजह है कि सामाजिक कार्यकर्ता से लेकर हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव, पूर्व केंद्रीय मंत्री और मिर्जापुर की सांसद अनुप्रिया पटेल भी अब तक इस वेब सीरीज का विरोध कर चुकी हैं.

स्पेशल रिपोर्ट.

मिर्जापुर वेब सीरीज का मिर्जापुर की वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है. यह काल्पनिक वेब सीरीज है. आप अगर फिल्म बना रहे हैं तो कम से कम उसमें सच्ची घटनाओं का जिक्र कीजिए. मिर्जापुर पर्यटन और आस्था का केंद्र है. ऐसे में वेब सीरीज में अपराध, गाली-गलौज और तमंचे के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा तो इससे जिले की नकारात्मक छवि पूरे देश-दुनिया में जाएगी.
-आयुष, स्थानीय

मिर्जापुर से तय होता है भारत का अंतरराष्ट्रीय मानक समय
भारत का अंतरराष्ट्रीय मानक समय भी मिर्जापुर जिले से ही से तय होता है, जो जिले के अमरावती चौराहे स्थित जगह से लिया गया है. मिर्जापुर 'लाल स्टोन' के लिए भी विख्यात है. बताया जाता है कि प्राचीन समय में इस स्टोन का इस्तेमाल मौर्य वंश के राजा सम्राट अशोक के द्वारा बौद्ध स्तूप को एवं अशोक स्तम्भ (वर्तमान में भारत का राष्ट्रीय चिन्ह) को बनवाने में किया गया था.

मां विंध्यवासिनी का दर्शन करने के लिए देश भर के साथ ही विदेशों से लोग भी आते हैं, इसको भी दिखाना चाहिए. पूरे विश्व का समय विंध्याचल से ही लिया गया है. स्टैंडर्ड टाइम यही का है. मिर्जापुर बहुत शांति वाला जिला है, जहां की तहजीब गंगा-जमुनी है. यहां पर कभी हिंदू-मुस्लिम का दंगा नहीं हुआ है. फिल्म में मिर्जापुर का नाम लेकर जो भी चीजें दिखाई जा रही हैं, यह महज जिले को बदनाम करने की साजिश है, जिसकी घोर निंदा की जानी चाहिए.
-रमेंद्र कुमार शुक्ल, पूर्व डीजीसी, क्राइम

मिर्जापुर की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं ये स्पॉट्स
विंध्याचल, अरावली और नीलगिरी पहाड़ों से घिरा यह विंध्य क्षेत्र के नाम से जाना जाता है. यहां का चुनार किला काफी मशहूर है. इसके अलावा गंगा का खूबसूरत किनारा सहित सीताकुंड, लाल भैरव मंदिर, मोती तालाब, टांडा जल प्रपात, विंडम फाल, खड़ंजा फाल, लखनिया की दरी, चुनादरी, सिरसी बांध, बकरिया फाल तारकेश्वर महादेव, महात्रिकोण शिवपुर, गुरुद्वारा, गुरुवार्ता बाग और रमेश्वर, देवरहवा बाबा आश्रम आदि प्रसिद्ध है. बता दें, मिर्जापुर वाराणसी जिले के उत्तर, सोनभद्र जिले के दक्षिण और इलाहाबाद जिले के पश्चिम से घिरा हुआ है.

मिर्जापुर वेब सीरीज पार्ट-वन और पार्ट-2 में मिर्जापुर का गलत चित्रण प्रस्तुत किया गया है. मिर्जापुर एक ऐतिहासिक धार्मिक नगरी है, जहां मां विंध्यवासिनी के दर्शन करने देश-विदेश से लोग आते हैं. यहां चुनार का किला और कई फाल हैं, जिसे देखने के लिए पर्यटक भारी संख्या में आते हैं. इस फिल्म में मिर्जापुर के नाम को लेकर दबंगई दिखाई गई है, इससे पर्यटक, सैलानी यहां पर आने से कतराएंगे.
-दुर्गेश पटेल, स्थानीय

अपराधियों से नहीं, इन हस्तियों से है मिर्जापुर का नाम
मिर्जापुर सांस्कृतिक, धार्मिक और गंगा-जमुनी तहजीब का शहर है. यहां पर आज तक कोई सांप्रदायिक दंगा, फसाद नहीं हुआ. इस जिले का नाम अपराधियों से नहीं, बल्कि लेखक, संगीतकार, कलाकर, पत्रकार और अच्छे राजनेताओं से है. संस्कृत भाषा की प्रसिद्ध लेखिका पद्मश्री नाहीद आबिदी, लेखक-साहित्यकार लक्ष्मी राज शर्मा यहीं से हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की कर्मभूमि मिर्जापुर ही है, जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. इलाहाबाद रेडियो पर कजली गाने वाली प्रथम महिला मैनादेवी जिले से ही थीं. पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का ससुराल भी मिर्जापुर जिले में ही है. साथ ही बीहड़ छोड़कर राजनीति में आने वाली फूलन देवी का भी यहां से दो बार सांसद रही हैं. इस तरह उद्योग जगत से लेकर कई ऐसे नाम हैं, जिन्होंने मिर्जापुर जिले का नाम रोशन किया है. हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध लेखक आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने भी अपनी आठवीं तक की पढ़ाई मिर्जापुर से ही की थी, जिनका पैतृक आवास रमई पट्टी में है.

मिर्जापुर धार्मिक स्थल है, यहां पर संस्कृति की छटा देखने को मिलती है. यह जिला हमेशा से ही शरीफों का शहर रहा है. वहीं जो इस फिल्म में दिखाया गया है, इसका समाज पर बुरा असर पड़ेगा. इसे देखकर तमाम तरह का क्राइम फैलेगा. इस तरीके की फिल्म नहीं बननी चाहिए. यहां पर संस्कृति को लेकर पहले फिल्में बनती थीं. मिर्जापुर जिला इस फिल्म को एक्सेप्ट नहीं कर रहा है.
-मोहन लाल यादव, सीनियर सिटीजन

क्या कहती हैं अनुप्रिया पटेल?
सांसद अनुप्रिया पटेल ने ट्वीट कर कहा, 'माननीय प्रधानमंत्री जी एवं माननीय मुख्यमंत्री जी मिर्जापुर विकासरत है. यह समरसता का केंद्र है. मिर्जापुर नामक Webseries के जरिए इसे हिंसक इलाका बताकर बदनाम किया जा रहा है. इस सीरीज के माध्यम से जातीय वैमनस्य भी फैलाया जा रहा है. मिर्जापुर जिले की सांसद होने के नाते मेरी मांग है कि इसकी जांच होनी चाहिए और इसके विरुद्ध कार्रवाई की जानी चाहिए.”

बता दें कि मिर्जापुर वेब सीरीज पार्ट-टू 22 अक्टूबर को रिलीज हुई थी. इस फिल्म में पंकज त्रिपाठी, दिव्येंदु शर्मा, अली फजल, श्वेता त्रिपाठी, रसिका दुग्गल और जैसे कलाकार हैं. इसके निर्देशक गुरमीत सिंह और मिहिर देसाई हैं. इस सीरीज के रिलीज होते ही सोशल मीडिया पर कमेंट्स की बाढ़ सी आ गई. इस सीरीज को देखने के बाद स्थानीय लोगों ने नाराजगी जाहिर की. लोगों का कहना है कि इस सीरीज के माध्यम से मिर्जापुर जिले को बदनाम किया जा रहा है.

Last Updated : Nov 1, 2020, 7:01 PM IST

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