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बीजेपी कार्यकर्ता ने भाजपा जिलाध्यक्ष पर लगाया 22 करोड़ रुपये की जमीन हड़पने का आरोप

मिर्जापुर में भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष बृजभूषण पर बीजेपी कार्यकर्ता ने ग्रामसभा के 22 करोड़ कीमत की जमीन कब्जाने का आरोप लगाया है. कहा जा रहा है कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी मामले में जांच के आदेश दिए थे.

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Published : Apr 19, 2023, 9:37 AM IST

प्रेस वार्ता करते बीजेपी कार्यकर्ता प्रिंस सिंह और रिपब्लिकन पार्टी के जिलाध्यक्ष सुनील सोनकर

मिर्जापुर: भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष बृजभूषण पर ग्राम सभा की बीहड़ जमीन कब्जा करने का आरोप लगा है. हैरानी की बात ये कि आरोप लगाने वाला कोई और नही बल्कि पार्टी का ही एक कार्यकर्ता और सहयोगी रिपब्लिकन पार्टी के जिलाअध्यक्ष हैं. दोनों ने बीजेपी जिलाध्यक्ष पर 22 करोड़ के कीमत की लगभग 22 बीघा जमीन कब्जाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि मामले की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी शिकायत की गई थी, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने डीएम और एसपी को सयुंक्त जांच का आदेश दिया था. मामले में अधिकारियों ने चार बार रिपोर्ट बदली.

प्रेस वार्ता कर पार्टी के कार्यकर्ता प्रिंस सिंह और रिपब्लिकन पार्टी के जिलाध्यक्ष सुनील सोनकर ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक तरफ माफियाओं से जमीन मुक्त कराने में लगे हैं. जगह-जगह बुलडोजर चलवा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ सत्ता का दुरुपयोग कर ग्राम सभा की बीहड़ जमीन कब्जा किया जा रहा है. वह भी एक दो लाख नहीं बल्कि 22 करोड़ कीमत की.

पड़री थाना क्षेत्र के चंदलेवा गांव के रहने वाले बीजेपी कार्यकर्ता प्रिंस ने कहा कि मिर्जापुर के बीजेपी जिलाध्यक्ष बृजभूषण अध्यक्ष के पद पर विराजमान होते ही सत्ता का दुरुपयोग करने लगे. उन्होंने बीहड़ की जमीन पर कब्जा कर कटीला तार लगावा दिया. वहीं, शाहपुर चौसा गांव के रहने वाले बीजेपी की सहयोगी रिपब्लिकन पार्टी के जिलाध्यक्ष सुनील सोनकर ने सदर तहसील के ग्राम बरकछा कला और शाहपुर चौसा में अवैध रूप से जमीन कब्जा करने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा कि 14 मार्च 2023 को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिकायत कर उच्च स्तरीय जांच की मांग की गयी थी. इस पर मुख्यमंत्री ने संयुक्त सचिव भूपेन्द्र बहादुर सिंह से मिर्जापुर के जिलाधिकारी और एसपी को नियमानुसार कार्रवाई करने का आदेश दिया. जिला प्रशासन ने जांच एसडीएम को मामले के जांच का आदेश सौंपा था.

इस पर जांच करते हुए एसडीएम सदर, तहसीलदार सदर, राजस्व निरीक्षक, लेखपाल ने पोर्टल पर 4 अलग-अलग रिपोर्ट दर्ज करायी. सत्ता के दबाव में असली रिपोर्ट को रोक लिया गया है. वहीं इस मामले में फसली-खतौनी गायब होने की भी बात कही जा रही हैं. आरोप ये भी है कि मामले की शिकायत करने के बाद से ही उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही है. वही, सुनील सोनकर ने कहा कि उन पर जाति-सूचक शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है. जान से मारने की धमकी के साथ ही कहा जा रहा है कि 'कहीं भी जाओ कोई सुनवाई नहीं होगी.'

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