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कोर्ट ने 31 साल बाद निर्दोष को दिया न्याय, 6 पुलिसकर्मियों को पांच वर्ष की सजा

मिर्जापुर अपर सत्र न्यायाधीश ने फर्जी मुकदमे में निर्दोष व्यक्तियों को फंसाने के मामले 31 साल बाद फैसला सुनाया. कोर्ट ने 6 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराते हुए सभी को 5-5 वर्ष की सजा और 59-59 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया.

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Published : Apr 2, 2023, 6:59 AM IST

मिर्जापुर अपर सत्र न्यायाधीश
मिर्जापुर अपर सत्र न्यायाधीश

मिर्जापुर: जिला कोर्ट ने एक युवक को फर्जी तरीके से फंसाए जाने के मामले में 31 साल बाद फैसला सुनाया. अपर सत्र न्यायाधीश वायु नंदन मिश्रा ने युवक को न्याय देते हुए फर्जी मुकदमे में तत्कालीन थाना प्रभारी समेत 6 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया. कोर्ट ने अपने फैसले में दोषी पुलिसकर्मियों को 5-5 साल की सजा सुनाई. साथ ही इन पर 59-59 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया. अर्थदंड जमा न करने की दशा में सभी को 10-10 महीने अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी. अर्थदंड की धनराशि में से 50 प्रतिशत रुपये पीड़ित परिवार को देने का आदेश दिया गया.

दरअसल, 24 अगस्त 1992 को विंध्याचल थाना के विरोही गांव के रहने वाले भोला तिवारी के घर पुलिस पहुंची थी. आराेप लगा कि वह गांजे का धंधा करता है. पुलिस ने छापामारी कर गांजा भी बरामद किया था. पुलिसकर्मियाें के मुताबिक, भोला तिवारी पुलिस वालों को देखकर एक बोरी लेकर अपने मकान की छत पर चढ़ गया और बोरी को मकान से नीचे फेंककर वहां से कूदकर फरार हो गया. पुलिन ने भोला पर मुकदमा दर्ज कर लिया.

वहीं, पीड़ित परिवार की शिकायत के अनुसार, पुलिस ने भोला तिवारी की मां रामपति को गालियां दीं और पिटाई भी की. इसको रामपति सहन नहीं कर पाई और घर में पुलिस वालों के सामने ही अपने शरीर पर मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगा ली. जब रामपति जलने लगीं तो पुलिस वाले मौके से भाग खड़े हुए. इसमें रामपति की मौत हो गई.

भोला तिवारी के भाई सुभाष ने बताया कि उसने इसकी शिकायत थाने में करनी चाही. लेकिन, एफआईआर नहीं लिखी गई. इसके बाद उन्होंने तत्कालीन समाज एवं महिला कल्याण राज्यमंत्री से शिकायत की. 9 दिसंबर 1992 को अपर पुलिस महानिदेश अपराध अनुसंधान विभाग को जांच के लिए लगाया गया. सभी का बयान लेने के बाद आरोप पत्र कोर्ट में प्रेषित किया गया. पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य और गवाहों के बयान के आधार पर न्यायालय ने तत्कालीन विंध्याचल थाना प्रभारी अमरेंद्र कांत सिंह, तत्कालीन उप निरीक्षक सुरेन्द्र नाथ राय, तत्कालीन सिपाही राम सिंहासन सिंह, दीनानाथ सिंह, रामअचल ओझा और तत्कालीन चालक सिपाही दिनेश बहादुर सिंह पर फर्जी मुकदमा करने और बिना गांजा के बरामदगी का दोषी ठहराने के मामले में शनिवार को फैसला सुनाया. दोषियों में उपनिरीक्षक संबरू यादव का निधन हो चुका है.

इनमें अमरेंद्र कांत सिंह लालबाग कॉलोनी छोटी बसही थाना कोतवाली कटरा का रहने वाला है. सुरेंद्र नाथ राय लखनऊ चिनहट का रहने वाला है. राम सिंहासन सिंह युवराजपुर थाना सुहवल जिला गाजीपुर का रहने वाला है. दीनानाथ सिंह बीरजापुर थाना जनता बाजार जिला छपरा बिहार का रहने वाला है. रामअचल ओझा तेलियाभा विशुनपुरा, सिकरीगंज, गोरखपुर का रहने वाला है और दिनेश बहादुर सिंह गोडे थाना कोतवाली नगर जनपद प्रतापगढ़ का रहने वाला है.

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