मिर्जापुरः मर्चेंट नेवी में तैनात पड़री थाना क्षेत्र के महेवा गांव के रहने वाले अरविंद तिवारी के समुद्र में लापता होने के एक हफ्ते बाद भी कोई पता नही चल सका है. मुंबई के एलीगेंट फ्लीट मैनेजमेंट कंपनी के जलपोत के साथ अरविंद अमेरिका गए थे. टेक्सास आर्थर पोर्ट के समीप काम करने के दौरान वह समुद्र में गिर गये. कंपनी के आधिकारियों से जानकारी मिलने के बाद परिवार में कोहराम मचा हुआ है. परिवार वाले सांसद अनुप्रिया पटेल और विदेश मंत्रालय से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
समुद्र में गिरा मर्चेंट नेवी कर्मचारी अभी भी लापता, परिजन मांग रहे हैं मदद
यूपी के मिर्जापुर के रहने वाले मर्चेंट नेवी में तैनात युवक का समुद्र में गिरने के एक हफ्ते बाद भी कोई पता नही चल सका है. कंपनी के आधिकारियों से जानकारी मिलने के बाद परिवार में कोहराम मचा हुआ है. परिवार वाले सांसद अनुप्रिया पटेल और विदेश मंत्रालय से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
अमेरिका के टेक्सास आर्थर पोर्ट पहले समुद्र में गिरे अरविंद
अरविंद तिवारी मर्चेंट नेवी में एक कंपनी में क्वार्टर मास्टर के पद पर तैनात थे. हाल ही में छुट्टियों पर घर आये थे. घर से मुंबई लौटने के बाद वह एलीगेंट फ्लीट मैनेजमेंट कंपनी के जहाज MT-SAGAMI पर क्वाटर मास्टर के पद पर तैनात थे. कंपनी के साथ उनका 9 महीने के कांट्रेक्ट था. जलपोत के साथ वह प्रशांत महासागर में अमेरिका की सफर पर गये थे. अमेरिका के टेक्सास में आर्थर पोर्ट से पहले ही वह 2 दिसंबर को शाम 7 बजे पायलट लैंडर रिगिंग प्रक्रिया के दौरान समुद्री लहर की चपेट में आकर में गिर गए. एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी लापता अरविंद का कही कोई पता नही चल पाया.
परिजन सांसद और विदेश मंत्रालय से मांग रहे मदद
कंपनी ने दुर्घटना की सूचना परिजनों को दिया. इसके बाद से परिजन अरविंद की सलामती को लेकर बेहद परेसान है. वह अनुप्रिया पटेल और विदेश मंत्रालय से अरविंद को खोजने में मदद करने की गुहार लगा रहे है. परिजनों के मुताबिक कंपनी ने उन्हें 3 दिसंबर को इसकी जानकारी दी. परिजनों ने कंपनी पर भी सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर काम करवाने का आरोप लगाया है. परिजनों का कहना है कि कंपनी के अधिकारी बार-बार बयान बदल रहे हैं.
2013 में सोमालियन लुटेरों के कब्जे में अरविंद भी थे
सोमालिया के लुटेरों ने जब 2013 में एक जहाज को कब्जे में ले लिया था, उस जलपोत में अरविंद भी सवार थे. लूटपाट के बाद उस जहाज को अनुमति पत्र न होने के बावजूद ईरान की सीमा में प्रवेश करा दिया गया था. इसके चलते उनका जहाज कई महीने ईरान के पोर्ट पर खड़ा रहा था. वे सभी बंधक जैसी स्थिति में रहे. ईरान की जल सेना ने जहाज को कब्जे में कर लिया था. इसके बाद 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के दखल के बाद सभी को मुक्त किया गया था.
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