मिर्जापुर: कश्मीर के बारामूला में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सेना के जवान रवि सिंह शहीद हो गए. गुरुवार को 10 बजे शहीद का उनके पैतृक गांव गौरा में अंतिम संस्कार किया जाएगा. इसे लेकर जिलाधिकारी सुशील कुमार पटेल ने अंतिम संस्कार के लिए स्थान का जायजा लिया. जिलाधिकारी सुशील कुमार ने कहा कि शासन से शहीद के परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक मदद की जाएगी. साथ ही एक परिवार को नौकरी दी जाएगी. इसके अलावा शहीद रवि सिंह के नाम से एक स्कूल और सड़क का नाम रखा जाएगा.
'भतीजे को शहीद होने का सौभाग्य मिला'
शहीद के चाचा बृजेश सिंह 20 साल से सेना में काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह सौभाग्य मुझे नहीं प्राप्त हुआ, जो मेरे भतीजे को हुआ है. इस बीच मुझे पीड़ा भी है कि भैया कैंसर से पीड़ित हैं और सारा इलाज रवि सिंह ही उठाते थे. अब भैया और भाभी के पास कौन है. मुझे गर्व भी है कि मेरे भतीजे ने इस सौभाग्य को प्राप्त किया है.
शहीद के चाचा ने लगाया आरोप
शहीद के चाचा बृजेश सिंह का आरोप है कि जब कोई सैनिक शहीद हो जाता है, तब सरकार और जिला प्रशासन से लेकर हर कोई शहीद जवान के घर पहुंचकर सम्मान देने में जुट जाते हैं, मगर जिंदा रहते सैनिकों को ना तो सरकार से और ना ही समाज से कुछ मिलता है. उन्होंने बताया कि हमारे माता-पिता की भी कोई सुध लेने वाला गांव में नहीं पहुंचता है, जब हम बॉर्डर पर रहते हैं. सरकार को कम से कम जिंदा रहते हुए भी हम लोगों को सम्मान देना चाहिए.
'शहीद होने से पहले भी मिले सम्मान'
शहीद के चाचा ने बताया कि एक फाइल भी लेकर हम कहीं जाते हैं तो काम नहीं होता है. बोला जाता है कि यह फौजी है, मगर अब शहीद होने के बाद यहां पर लोगों की भीड़ लग रही है और सहायता की बात कही जा रही है. उन्होंने कहा कि हम सरकार से चाहेंगे कि हम जवानों को जिंदा रहते हुए भी वह सम्मान देना चाहिए, जो शहीद हो जाने के बाद मिलता है.