मिर्जापुर :पितृ पक्ष की अमावस्या पर जिले के राम गया घाट पर काफी संख्या में लोगों की भीड़ जुटती है. लोग यहां पर पिंडदान के लिए आते हैं. शनिवार की सुबह से ही भारी संख्या में देश के कोने-कोने से लोग पहुंचे. उन्होंने पूर्वजों का तर्पण किया. यह वही घाट है, जहां पर भगवान राम, सीता व लक्ष्मण ने एक साथ आकर अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान किया था. मान्यता है कि यहां पर पिंडदान करने से मोक्ष मिलता है.
राम गया घाट आस्था का केंद्र :विन्ध्य पर्वत और पतित पावनी गंगा के संगम तट पर बसे मिर्जापुर जनपद के विंध्याचल शिवपुर स्थित राम गया घाट भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है. वेदों और पुराणों में इस स्थान की महिमा का वर्णन है. त्रेता युग में रावण वध के बाद मुनि वशिष्ठ के निर्देश पर भगवान राम ने सीता व लक्ष्मण के साथ आकर अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान किया था. तब से यहां पिंडदान करने की परंपरा चली आ रही है. शनिवार को पितृ पक्ष की अमावस्या पर्व पर काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों का यहां पर पिंडदान किया है.
अमावस्या के दिन भी उमड़ती है भीड़ :पुजारी दिनेश मिश्रा ने बताया कि लोग अपने पितरों को यादकर श्रद्धा के साथ पूजन-अर्चन यहां पर करते हैं. तर्पण के पहले बाल बनवाया, गंगा स्नान कर 15 दिनों तक चलने वाले पितृपक्ष में तिथि के दिन पितरों को पिंडदान किया. पितृ पक्ष में जो लोग नहीं आ पाते हैं, वह अंतिम दिन अमावस्या के दिन आकर पिंडदान करते हैं. यहां पर पिंडदान करने से मोक्ष मिलता है.