मिर्जापुर: कोरोना वायरस के बचाव के लिए पूरे देश को 21 दिन के लिए लॉकडाउन किया गया है. लॉकडाउन की वजह से फल की खेती करने वाले किसान काफी संकट का सामना कर रहे हैं. अगर लॉकडाउन की अवधि और आगे बढ़ती है तो मिर्जापुर के पॉली हाउस में खरबूजे की खेती करने वाले किसानों की लागत भी नहीं निकल पाएगी. बता दें कि किसानों के पास विदेशी वैरायटी का खरबूजा तैयार है, लेकिन वाहनों के न चलने से खरबूजा बाहर नहीं जा पा रहा है, जिससे किसान चिंतित हैं.
लॉकडाउन के कारण मिर्जापुर के किसान परेशान. खेती करने वाले किसान परेशान
पॉली हाउस की खेती आजकल किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है, क्योंकि किसान किसी भी मौसम में बाजार की मांग के अनुसार खेती कर सकते हैं. जिससे उन्हें फसलों के अच्छे दाम मिलते हैं और उन्हें अधिक मुनाफा होता है. किसान रामजी दुबे ने 2016 स्क्वायर मीटर पॉली हाउस में विदेशी वैरायटी के लगभग 5000 खरबूजे के पौधे लगाए हैं. उनको अनुमान था 20 टन के लगभग उत्पादन होगा और चार लाख से ज्यादा कमाई होगी. मगर खरबूजा तैयार होने के बाद भी वह न मंडी पहुंचा पा रहे हैं और न कोई खरीदने को तैयार है. इस खरबूजे को बिकने के लिए मिर्जापुर, वाराणसी और प्रयागराज में जाना होता है. लॉकडाउन अगर और बढ़ा तो खरबूजा सही ढंग से बाजारों में नहीं पहुंच पाएगा और न ही उसकी सही कीमत मिल पाएगी.
लॉकडाउन चला लंबा तो सहना पड़ेगा घाटा
पाली हाउस में खरबूजे की खेती करने वाले किसान रामजी दुबे का कहना है कि खरबूजा तैयार हो रहा है. उनके सामने विकट समस्या खड़ी हो गई है क्योंकि लॉकडाउन की वजह से मंडी बंद है. उन्होंने बताया कि अगर यह लॉकडाउन लम्बा चला तो बहुत घाटा सहना पड़ेगा. बाहर की जाने वाली खेती से 4 गुना ज्यादा खर्च इसमें लगता है. किसान ने बताया कि 2016 स्क्वायर मीटर में 5000 खरबूजे के पौधे लगाए गए हैं, जिसमें 200 कुंतल उत्पादन होने का अनुमान था और चार लाख तक की बिक्री हो जाती, खर्चा काटकर डेढ़ लाख रुपए बच जाता. तैयार खरबूजे को वह पहले मिर्जापुर में ले जाते, यहां न बिकता तो बनारस और प्रयागराज ले जाते. उन्होंने कहा कि पहली बार पॉली हाउस के अंदर खेती की है और पहली बार ही घाटा उठाना पड़ेगा.