उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

नक्सल प्रभावित इलाके की महिलाओं की मदद करेंगे अभिनेता सोनू सूद

मिर्जापुर में अभिनेता सोनू सूद को टैग करते हुए ट्विटर पर विकास दीक्षित ने नक्सल प्रभावित इलाके में रहने वाले बुजुर्ग महिलाओं के लिए मदद की मांग की. जिसके जवाब में सोनू सूद ने उन्हें मदद पहुंचाने का भरोसा दिया है.

mirzapur
अभिनेता से मदद की मांग

By

Published : Dec 29, 2020, 3:11 AM IST

मिर्जापुर: बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद लोगों की मदद करने को लेकर सुर्खियों में रहते में हैं. सोनू सूद ट्विटर पर हमेशा एक्टिव भी रहते हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से मदद मांगने वालों को वह रिप्लाई भी करते हैं. अभिनेता सोनू सूद को टैग करते हुए ट्विटर पर विकास दीक्षित ने नक्सल प्रभावित इलाके में रहने वाले बुजुर्ग महिलाओं के लिए मदद की मांग की. विकास दीक्षित ने लिखा कि हर साल यह उम्मीद से ठंड काट लेती हैं, कि कोई फरिश्ता उनकी मदद के लिए जरूर आएगा. अब उन बूढ़ी दादी और महिलाओं की आखिरी उम्मीद बस अब आप हो. जिस पर सोनू सूद ने जबाब दिया, कि अब सभी 20 गांव में किसी को ठंड नहीं लगेगी. उनकी सर्दी का सामान जल्द आप तक पहुंच जाएगा.

नक्सल प्रभावित इलाकों की महिलाओं की मदद करेंगे सोनू सूद

नक्सल प्रभावित इलाकों में सोनू सूद पहुंचाएंगे मदद
लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों के मसीहा बने अभिनेता सोनू सूद लगातार लोगों की मदद के लिए खड़े रहते हैं. विकास दीक्षित होप वेलफेयर ट्रस्ट के सदस्य ने ट्वीट करते हुए लिखा कि वाराणसी से लगभग 80 किलोमीटर दूर नक्सल प्रभावित क्षेत्र मिर्जापुर-सोनभद्र के 20 ऐसे गांव हैं. जहां बूढ़ी माताएं हर साल यह उम्मीद से ठंड काट लेती हैं, कि कोई फरिश्ता उनकी मदद के लिए जरूर आएगा. अब उन बूढ़ी दादी और महिलाओं की आखिरी उम्मीद बस अब आप हो. सोनू सूद ने जवाब दिया, कि अब सभी 20 गांव में किसी को ठंड नहीं लगेगी. उनके सर्दी का सामान जल्द आप तक पहुंच जाएगा.

पिछले महीने सोनू सूद ने भेजी थी साइकिल
बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद जो वादा करते हैं, वो पूरा भी करते हैं. लॉकडाउन से लेकर अभी तक समाजसेवा करते आ रहे हैं. हाल ही में सोनू ने मिर्जापुर के नक्सल प्रभावित इलाके की लड़कियों के लिए मदद करने का ऐलान किया था. उन्होंने अपना वादा पूरा भी किया. होप वेलफेयर ट्रस्ट की ओर से 25 लड़कियों को सोनू सूद और नीति गोयल के सहयोग से साइकिल वितरित की गई थी. यह वह लड़कियां थीं, जो अपने-अपने गांव से 10 से 15 किलोमीटर दूर पैदल स्कूल जाने को मजबूर थीं. जिसकी वजह से कई अभिभावकों ने अपनी बच्चियों की पढ़ाई तक छुड़वा दी थी.

ABOUT THE AUTHOR

...view details